बिहार/मझौलिया- प्रयास कितना भी छोटा हो लेकिन यदि लगातर किया जाय तो यह प्रयाश एक दिन अपने आप मे मिशाल बन जाता हैं। किसे पता था कि दशरथ राम मांझी एक दिन पहाड़ काट कर रास्ता बना देंगे लेकिन उनके निरन्तर प्रयाश के आगे पहाड़ भी नतमस्तक हो गया……
यह पक्तियां मझौलिया में ऑनलाइन क्लास चला रहे अध्यापक-अध्यापिकाओं पर सार्थक सिद्ध हो रही है। ऑनलाइन क्लास की कहानी मझौलिया के शिक्षकों की जुबानी…….. आर के इंटरनेशनल स्कूल मझौलिया के वाट्सएप ग्रुप के द्वारा ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम से अपने छात्र/ छात्राओं को शिक्षा दी जा रही है । जो अपने आप मे एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। लॉक डाउन के समय मे बच्चे इधर उधर की बातों में अपना समय बर्बाद कर रहे है । टीवी पर कार्टून देखते है । जिसके कारण पूर्व ज्ञान को भूलने की सम्भावना बनि रहती है । ऑनलाइन के माध्यम से उनको शिक्षा देना उनके विकाश में सहायता प्रदान कर सकता है।
विधालय के निदेशक राजेश कुमार कुशवाहा ने शिक्षकों को आह्वान किया कि उन्हें अपने व्यतित्व की अच्छाइयों व बुराइयों की स्वयं लिस्ट बनानी चाहिए और उसमे जो चीजें ज्ञान व टैलेंट से जुड़ी हों उसे उभारना चाहिए। जो काम आप नहीं करना चाहते व जिससे ऊर्जा प्रभावित होती हैं व समय नष्ट होता हैं, उन्हें त्याग देना चाहिए। उन्होंने कहा कि हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश करें। हर व्यक्ति के मन में एक सपना बुनना सिखाएं, इससे एक प्रेरणा प्राप्त होती हैं। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि यह ग्रामीण क्षेत्र है जिससे कुछ दिक्कतों का सामना करना पड़ता है और दिक्कते किसे नही आती इसलिए सब भूलकर शिक्षा की अलख जगाना ही हमारी प्राथमिकता है।उनके विधालय के कुछ शिक्षको का
मानना था कि सभी बच्चो के पास स्मार्टफोन नही है तो पढ़ने-लिखने में कठिनाई होगी। पर मैंने देखा कि हमारे अध्यापक भाई-बहन इस काय॓ को करने के प्रयास कर रहे है। फिर मुझे उस गिलहरी की कहानी याद आ गयी जब श्री रामचन्द्र जी लंका जाने के लिए अपने बानर सेना के साथ पुल बना रहे थे तभी एक गिलहरी बार बार समुंद्र के पानी मे भीग कर बालू में आ कर लोटने लगती तभी पूछने पर की ये तुम क्या कर रही हो तो उसने कहा मैं श्री राम की सहायता कर रही हु समुंद्र का पानी कम करके फिर उसने पूछा ऐसे क्या तुम पानी कम कर दोगी तब गिलहरी बहुत शांति से बोली कि वह तो सिर्फ इतना चाहती है कि जब भी श्री राम की चर्चा हो तो उसका नाम उनकी सहायता करने वालो में शामिल हो न कि हंसने वालो में।आर के इंटरनेशनल स्कूल के अध्यापक व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से शिक्षा की अलख जगा रहे है। ग्रामीण इलाका होने के कारण शुरू में कठिनाई तो हुई लेकिन धीरे धीरे अभिभावकों को भी समझ आने लगा। जिनके पास एंड्राइड फ़ोन नही है उनको भी फोन करके उनकी समस्याओं का निदान किया जाता है तथा नोट्स उपलब्ध कराए जाते हैं। कुछ अभिभावक तो हमारे फोन का इंतजार भी करते हैं।
– राजू शर्मा की रिपोर्ट