वतायो फकीर की सिंध में बड़ी मान्यता थी।
फ़क़ीर के किस्से कहानिया आज भी मानवता का मार्गदर्शन करते है। फकीर के आसरे में एक गाय थी और एक गधा भी था। वतायो गाय का बहुत आदर करता था और उसका ख्याल भी रखता था। गाय थी भी बहुत अच्छी। गधा इसके उल्ट था। बिलकुल गधा था।
गधा आसपास में मनमर्जी करता। उलटी सीधी हरकते करता। लोग भी गधे की शिकायत करते रहते।
एक दिन साँझ ढले वतायो ने अपने खुदा की बंदगी की। वतायो ने अपने खुदा से कहा ‘ हे रहम दिल ,मैं इस गधे से परेशान हो गया हूँ। तू इसे अपने पास बुला ले। फकीर को यकीन था खुदा उसकी जरूर सुनेगे। पर अगले दिन सुबह देखा तो गाय तो चल बसी और गर्दभ राज ढेंचू ढेंचू कर रहे थे। फकीर का दिमांग खरबा हो गया। वो अपनी प्रिय गाय के चले जाने से बहुत दुखी हुआ।
फकीर इतना चिल्लाया की मजमा जमा हो गया। सबकी निगाहें फकीर पर लगी थी। वतायो दौड़ कर बस्ती में गया और एक नेत्रहीन को लाया। भीड़ हैरत से फकीर और नेत्रहींन को देख रही थी। फ़क़ीर उस नेत्रहीन को पहले गधे के पास ले गया। बोला ‘ तू इस जानवर के जिस्म पर हाथ फेर कर देख ,फिर बता ये क्या है ? उसने तुरंत बता दिया ये तो गधा है। फिर वो नेत्रहीन को गाय के पास ले गया। नेत्रहीन ने गाय के शरीर पर हाथ फेरा और बोला ये तो गाय है। मगर बेजान है।
फकीर जोर जोर से बोलने लगा। हे खुदा जब एक दृष्टिबाधित को भी पता है इन दो में गाय कौन है और गधा कौन है ? फिर तेरे को कैसे नहीं दिखा ? खुदा तू सुनता तो है मगर फैसला करते वक्त चूक जाता है ।
कई आस्थाओ में राजा को ईश्वर का प्रतिनिधि माना जाता है। यहूदी धर्म की ओल्ड टेस्टामेंट में राजा ईश्वर का प्रतिनिधि है। दूसरे मत में सुल्तान नियाबत ए खुदाई है। लोकतंत्र में राजा तो नहीं होते। पर प्रधान मंत्री है ,मुख्यमंत्री है,और कही राज्यपाल है।
वे ही ईश्वर के प्रतिनिधि है। वे रहम दिल है। वे सुनते है। उन्हें सब दिखता है।लेकिन फैसला लेते चूक कर देते है। कोरोना में फंसी जनता ने परिवहन की फरियाद की थी। पहले विमान भेजे ,फिर रेलगाड़ी।वो सुनता तो है। मगर बड़ी देर कर देता है मेहरबा गरीब मजलूम तक आते आते। हैं मेरे मालिक फिर भी तेरा इक़बाल बलन्द रहें।
– राजस्थान से राजूचारण