बरेली। रंगालय एकेडमी ऑफ आर्ट एंड कल्चर द्वारा आयोजित तृतीय 15 दिवसीय थिएटर फेस्ट के 14वें दिन सोमवार को लोक खुशहाली सभागार में मिरर थिएटर उड़ीसा के कलाकारों ने चर्चित नाटक ‘लाल पाएन (लाल पानी)’ का मंचन किया। यह नाटक सुभाष चंद्र प्रधान द्वारा लिखित एवं निर्देशित है, जिसमें हीराकुंड बांध के कारण विस्थापित लोगों की करुण गाथा को सशक्त रूप से प्रस्तुत किया गया।
नाटक की शुरुआत में बांध निर्माण से पहले स्थानीय लोगों को दिए गए आकर्षक वादों और दिखाए गए सुनहरे सपनों को दर्शाया गया। लेकिन जब ये वादे पूरे नहीं हुए और मुआवजा भी नहीं मिला, तब वहां के लोगों को किस तरह त्रासदी और पीड़ा से गुजरना पड़ा—इसका सजीव चित्रण मंच पर नजर आया। खासतौर पर, बार-बार अपनी जमीन न छोड़ने पर ग्रामीणों के साथ हुई कुचलने और दमन की घटनाओं को दर्शाते हुए, पुरुषों को परिवार से अलग कर देना और महिलाओं व बच्चों को ट्रकों से दूर ले जाकर छोड़ने के दृश्य दर्शकों की आंखों में आंसू ले आए।
नाटक ने शोषण, दमन और तानाशाही की व्यवस्थाओं का बेहद प्रभावशाली रूप से खुलासा किया। यह नाटक पूरे देश में 196 बार मंचित हो चुका है, जिससे इसकी प्रासंगिकता और सशक्तता का अंदाजा लगाना आसान है। कार्यक्रम की शुरुआत में रवि छाबड़ा, सुभाष कथूरिया, गुरविंदर सिंह और डॉ. विनोद पागरानी ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
फेस्ट के अंतर्गत कल आख़िरी दिन युगांधर थिएटर बरेली द्वारा नाटक ‘अभिशप्त राजा’ का मंचन किया जाएगा।