बरेली। हर वर्ष उर्स-ए-रजवी के दौरान जायरीन को शहर के कई सरकारी विद्यालयों मे ठहराने पर विश्व हिंदू परिषद ने आपत्ति जताई है। विहिप नेताओं ने आरोप लगाया कि विद्यालयों मे जायरीन मांस आदि का सेवन करके स्कूल में गंदगी कर देते हैं। विद्यालय की साफ सफाई में बहुत समस्या आती है। शहर का वातावरण भी खराब होता है। विहिप कार्यालय मे सोमवार को पत्रकारों से बात करते हुए परिषद के महानगर महामंत्री संजय शुक्ला ने बताया कि इस बार सरकारी कंपोजिट विद्यालय को सरकारी आदेशानुसार जायरीन के लिए प्रयोग करने की अनुमति नहीं दी गई। इस बाबत बीएसए ने पत्र भी जारी किया लेकिन अगले दिन विद्यालय मे जायरीन के रुकने को पुरानी परंपरा बताकर जायरीन के लिए विद्यालय खोलने की अनुमति दे दी गई। कहा कि विद्यालय शिक्षा का मंदिर है, हिंदू समाज के बच्चे मां सरस्वती का आशीर्वाद लेने विद्यालय जाते है। उर्स के बाद विद्यालयों मे मांस के टुकड़े और हड्डियां फेंकने के साथ ही बहुत गंदगी कर दी जाती है। उन्होंने सवाल उठाया कि श्रावण मास मे कांवड़िये सड़कों पर सोते है। उन्हें सरकारी विद्यालय खोलकर नही ठहराया जाता है तो फिर जायरीन के लिए सरकारी विद्यालय खोलने की ये अलग व्यवस्था क्यों की जा रही है। विश्व हिंदू परिषद ने प्रशासन से आग्रह किया है कि किसी भी सरकारी विद्यालय को जायरीन के ठहरने के लिए अनुमति न दी जाए। अगर ऐसा किया भी जाता है तो विद्यालय मे किसी भी प्रकार की कोई गंदगी न होने पाए। वहां मांस का सेवन न किया जाए। ऐसा न होने पर विश्व हिंदू परिषद आंदोलन के लिए बाध्य होगा। इस दौरान देवेंद्र सोम, आर्यन, जितेंद्र कुमार, राजेश पाठक, मनीष, दिव्य चतुर्वेदी, विकास सोमवंशी, कमलेश वर्मा व जगत पाल समेत अन्य मौजूद रहे।।
बरेली से कपिल यादव