बरेली। विश्व ब्रेल दिवस के अवसर पर एफआर इस्लामिया इंटर कॉलेज में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में फ्रांसीसी नेत्रहीन शिक्षक और ब्रेल लिपि के अविष्कारक लुइस ब्रेल के बारे में बताया गया। प्रधानाचार्य मेजर जावेद खालिद ने कहा कि लुई ब्रेल ने नेत्रहीनों के लिये ब्रेल लिपि का निर्माण किया था। उनकी वजह से नेत्रहीनों को पढ़ने का मौका मिला। इस दिन दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, नेत्र रोगों की पहचान, रोकथाम और पुनर्वास विषय पर बातें होती हैं। कार्यक्रम के कन्वीनर भौतिक विज्ञान प्रवक्ता काजी फरहान अहमद ने बताया कि ब्रेल लिपि एक तरह की लिपि है, जिसको विश्व भर में नेत्रहीनों को पढ़ने और लिखने में छूकर व्यवहार में लाया जाता है। ब्रेल के पिता ने उन्हें पेरिस के रॉयल नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर ब्लाइंड चिल्ड्रेन में भर्ती कराया था। उस स्कूल में वेलन्टीन होउ निर्मित लिपि से पढ़ाई होती थी लेकिन यह लिपि अधूरी थी। इस विद्यालय में एक बार फ्रांस की सेना के एक अधिकारी कैप्टन चार्ल्स बार्बियर प्रशिक्षण के लिये आए और अंधेरे में पढ़ी जाने वाली नाइट राइटिंग लिपि के बारे में बताया। इसमे विराम चिह्न, संख्या, गणितीय चिह्न आदि नहीं थे। ब्रेल को वहीं से विचार आया और उन्होंने इसी लिपि पर आधारित अपनी लिपि बनायी। उसमें न केवल विराम चिह्न बल्कि गणितीय चिह्न और संगीत के नोटेशन भी लिखे जा सकते थे। यही लिपि आज सर्वमान्य है। लुई ने जब यह लिपि बनाई तब वे मात्र 15 वर्ष के थे। सन् 1824 में पूरी हुई यह लिपि दुनिया के लगभग सभी देशों में उपयोग में लाई जाती है। सन 2009 में 4 जनवरी को जब लुई ब्रेल के जन्म को पूरे दो सौ वर्षों का समय पूरा हुआ तो हमारे देश ने उनके सम्मान में डाक टिकट जारी किया। इस मौके पर तौकीर सिद्दीकी, हसन दानिश, मोहम्मद नसीम अंसारी और सलीम जमाल सहित शिक्षक और छात्र उपस्थित रहे।।
बरेली से कपिल यादव