वाराणसी – धर्म और संस्कृति की धरती काशी में धूम धाम के साथ विश्व प्रसिद्ध नाटी इमली का भरत मिलाप सकुशल सम्पन्न हुआ। नाटी इमली स्थित लीला स्थल पर एकादशी के दिन मनाये जाने वाले इस भरत मिलाप में लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। आज 4 बजकर 40 मिनट पर प्रभु श्री राम और लक्ष्मण ने अपने सामने भारत शत्रुघ्न को नतमस्तक देख दौड़कर उन्हें उठाया और गले लगा लिया।
अश्रुधाराओं के बीच श्रीराम काफी देर तक भाइयों को गले लगाए रहे। इस दौरान उमड़ी भीड़ ने हर हर महादेव और जय श्रीराम के नारे से बाबा भोलेनाथ की नगरी को गुंजायमान कर दिया।
रामनगर में चित्रकूट रामलीला समिति की रामलीला का भरत मिलाप दैवीय शक्तियों के बीच हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी संपन्न हुआ। जैसे ही घडी में चार बजकर 40 मिनट का समय हुआ और अस्ताचलगामी सूर्य की रौशनी एक नियत स्थान पर पड़ी गोस्वामी तुलसी दास की लिखी गयी पंक्तियां जैसे ही कंठ से फूटी 14 वर्षों बाद वनवास से वापस लौटे भगवान् श्रीराम भाइयों को देख खुद को रोक न पाए और उनकी तरफ दौड़ लगा दी।
इसके बाद यादव बंधुओं ने एक रथ पर सभी भाइयों, माता सीता को उठाकर मेला स्थल पर मौजूद लोगों को चारों दिशा में रथ घुमाकर दर्शन करवाया । लीला शुरू होने से पहले काशी नरेश अपने हाथी में बैठकर लीला स्थल पहुंचे तो सभी काशीवासियों ने हर हर महादेव के उद्धघोस के साथ उनका स्वागत किया। उन्होंने देव् स्वरूपों को सोने की गिन्नियां भेंट की और उसके चंद क्षणों बाद लीला शुरू हो गयी।
इस लीला को देखने के लिए क्या बच्चा बूढ़े सबके मन में केवल एक ही श्रद्धा भगवान का दर्शन। इस मिलाप को देखने भारत के कोने कोने से तो लोग आते ही वही यादव बंधू वर्षो से कई पीढ़ियों से चली आ रही इस प्राचीन परम्परा का निर्वहन करते आ रहे है। साथ ही में प्रभु राम के परिवार के प्यार को अपने अन्दर आत्म सात करते है। हर हर महादेव के जयघोष के साथ लोगों ने महाराज बनारस का अभिवादन किया और लीला स्थल से विदाई ली।
काशी की यह लीला लोग साल भर अपनी आँखों में संजो कर रखते है। भगवान् स्वरुप पात्रो के बीच वे अपने आपको पाकर धन्य महसूस करते हैं।आज के वर्तमान सामाजिक परिदृश्य में भागदौड़ की जिन्दगी के बीच आस्था के इस प्रवाह को देखने के लिए उमडे लोग इस सच को उजागर करते हैं कि ईश्वर आज भी उनके मन में बसे हैं।
रिपोर्टर-:महेश पाण्डेय मण्डल कॉर्डिनेटर वाराणसी