बाड़मेर/राजस्थान- राजस्थान में विधानसभा चुनावी माहौल और विधायक बनने के लिए नेताओं के झुड के झुड दौड़कर आ रहें हैं और मौजूदा राज्य के भाजपाई सासंदो सहित दो चार दर्जन से ज्यादा अपनी किस्मत आजमाने के लिए चुनावी चौसर बिठाने का जुगाड़ जिताऊ विधानसभा क्षेत्रों के चक्कर में लगे हुए हैं लेकिन उनके द्वारा अपने कार्यकाल के दौरान अपने वोटरों के लिए कोई शानदार उपलब्धियां नहीं दिखाई दे रही है और अगले लोकसभा चुनाव में कहीं उनकी राजनीति से सूपड़ा साफ न हो जाए इसका डर अभी से उन्हें भी सताने लगा है इसलिए राज्य की मौजूदा राजनीति में अपने भविष्य की राजनीति का दामन थामने की रातदिन जुगत भिड़ा रहे हैं।
बाड़मेर जिले में आजादी से पहले राजाओं के बाद में अग्रेजो का शासन हुआ करता था और अंग्रेजी शासन की गुलामी की जंजीरों से मुक्त होने के बाद लोगों ने राहत महसूस की थी, की अब तो जंगलराज से हमें भी मुक्ति मिलेगी। हमारे भारतवर्ष में भी राजस्थान राज्य जो की विश्व पटल पर एक शान्त आबोहवा वाले एरिया के नाम से जाना जाता है और जोधपुर संभाग में बाड़मेर जैसलमेर सरहदी जिलों का भाईचारे की जग में मिशाल कायम रहती थी। समय-समय पर हुएं सैकड़ों बदलाव के बाद देश में प्रधानमंत्री और कुछ अन्य नेताओं ने सांसद बनकर संसद भवन और राज्य सभाओं तक, फिर राज्य स्तरीय सरकार में मुख्यमंत्री और कुछ अन्य विधायकों को लेकर विधानसभा तक, जिला मुख्यालयों पर जिला प्रमुख और मंडल कमंडलो, पंचायत समितियों में प्रधान ओर पंचायत समिति सदस्यों, गांवों में सरपंच, वार्डपंचों को लेकर देशभर में समयानुसार बदलाव की बयार शुरू की। सरकार ने आमजन के हितार्थ ही हर गांव चौपाल तक सरकारी कारिदौ को लगाया था की पीड़ित को तत्काल राहत देने के लिए।
आज-कल सरहदों पर सुरक्षा व्यवस्थाओं में तैनात हमारे फौजी भाईयों और प्रवासी मारवाड़ी सहित मजदूरी करने वाले, भारतीय सेना के जवानों को आवागमन करने के दौरान होने वाली परेशानियों को देखकर रेलगाड़ियों ओर हवाई सेवाओं की मौजूदा हालातों को देखते हुए बहुत ज्यादा शर्मिंदगी महसूस हो रही है। बाड़मेर जिले के राजनीतिक आकाओं ने सबसे पहले आमजनों के हितार्थ समर्पित होकर निस्वार्थ भाव से लोगों की मूलभूत समस्यायों का समाधान करने में सहयोग और हर-संभव तत्परता दिखाते हुए अपने को राज़ पदों पर शोभायमान किया गया था । लोगों के आगे तरह तरह के खेल किए-कराए, कही कही पर धनबल का इस्तेमाल भी किया होगा ओर आमजन को विश्वास में लेकर चुनाव जीतने के बाद में अपनों को मौजूदा हालात में दर बदर ठोकरें खाने के लिए छोड़ दिया न तो कन्याकुमारी से बाड़मेर वाया कोकेन रेल्वे सहित कई अन्य लम्बी दूरी की रेलगाड़ियां आई और ना ही उत्तललाई हवाई अड्डे पर आम आदमी के लिए हवाई सफर उपलब्ध हुआ है।
आज-कल कुछ राजनैतिक आकाओं ने मदमस्त होकर अपने-अपने क्षेत्र में राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए अपने ही लोगों को फुटबॉल समझकर खेलना शुरू कर दिया है लेकिन उन्हें सबसे ज्यादा मालामाल करने वाले यही जागरूक जनता जनार्दन है। इसी जनता के द्वारा मतपेटियो को भरने से आप विजय प्राप्त कर बडे़ नेताजी चुने गए हैं आपके सफैदपोश,सफेदझक कुर्ता पजामा ओर आपकी मंहगी महंगी आलीशान गाड़ीयों का बड़ा बड़ा काफिला ओर यह सफेद पोशाक …..जिस पर आपको कोई दाग़ या फिर धब्बा लगा हुआ पसंद नहीं है यह पौशाक देर सवेर जनता द्वारा उतारने के बाद ही आपको प्रायश्चित होगा और आपकी ख़ुमारी जब तक उतरेगी, लेकिन तब तक बहुत देर हों चुकीं होगी।
आपके क्षैत्रो में नियुक्त सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा जनता जनार्दन की मूलभूत समस्यायों का समाधान समयानुसार नहीं करने में कभी कभार ऐसा माहौल बनाया जाता है। लेकिन आपकों वहां तक पहुंचाने वाले ही अगर मायूसियों से भरें होंगे तो आपकी यह उड़ान व्यर्थ है। आमजन के दिलों में पहले जगह बनाने की जरूरत है सरकार, मत्री सत्री, जिलों में बड़े बड़े पंच, प्रमुख, सरपंचाई आजीवन नहीं रहती है आपसे पहले भी कई इन पदों पर शोभायमान थे। ओर फिर उन्होंने आपकी तरह जनता से व्यवहार किया होता तो आज लोगों के दिलों में अपनी अमिट छवि वाली जगह नहीं बनाते।
आज़कल पावर और पद के नशें में सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को गाहे बगाहे धमकाकर अपने लिए अटूट धन सम्पदा इकठ्ठा करने के बाद बुरे वक्त में आपके कार्यक्षेत्र में सरकारी मशीनरी में रूपयों से एक रूपए की चोरी में भी जेलयात्रा की सैर हो सकती है। भारतीय कानून व्यवस्थाओं में हर आम-ओ-खास आदमी के लिए सहजता से उपलब्ध है, ओर न्याय की गुहार करने वाले लोगों को भी वही जनता जनार्दन ही सहयोग करेंगी जो कभी कभार आपको आंखों पर बिठाया करतीं थीं।
विधानसभा में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से पेश किए गए बजट के बाद सरकार द्वारा बजट में की गई हजारों घोषणाओं को अमलीजामा पहनाने के प्रयासों में जुट गई है। बजट घोषणाओं के क्रियान्वयन को लेकर जहां मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सरकार लगातार समीक्षा बैठके ले रहे हैं तो वही बजट सत्र के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मौजूदा मंत्रियों के दौरे को लेकर एक्शन प्लान तैयार किया था जिसके तहत तमाम मंत्रियों को बजट सत्र की समाप्ति के बाद जिलों के दौरे पर भेजा गया था और आचार संहिता लगने में अभी दो तीन सप्ताह बाकी रहे हैं।
राजधानी में विशेष जानकारियां रखने वाले खबरनवीस की माने तो एक्शन प्लान के तहत तमाम मंत्री, सत्री विधानसभा के बजट सत्र की समाप्ति के बाद तीन दिवसीय जिलों के दौरे पर रहें थे और जहां पर सरकार के बजट घोषणाओं को लेकर आमजन से संवाद करेंगे और उन्हें बताएंगे कि सरकार ने अपने बजट में किसानों, आमजन बेरोजगारों और सरकारी कार्मिकों के लिए क्या क्या घोषणा की है। इसके अलावा फ्लैगशिप योजनाओं को लेकर भी मंत्री आमजन से सीधे तौर पर संवाद किया कि उन्हें सरकार की कितनी फ्लैगशिप योजनाओं का आजकल क्या क्या लाभ मिल रहा है और कौनसी फ्लैगशिप योजनाओं का लाभ क्यों नही नहीं मिल पा रहा है ?
– राजस्थान से राजूचारण