बरेली। उत्तर प्रदेश खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड मे बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा सामने आया है। छह ग्रामोद्योग संस्थानों के पदाधिकारियों ने फर्जी कागजों के आधार पर करोड़ों का लोन ले लिया। इसके बाद संस्थाएं और उनके प्रतिनिधि गायब हो गये। उत्तर प्रदेश खादी तथा गामोद्योग बोर्ड लखनऊ ने इसकी शिकायत उत्तर प्रदेश शासन से की। शासन के आदेश पर एंटी करप्शन की टीम ने जांच के बाद नायब तहसीलदार और लेखपाल समेत 28 लोगों के खिलाफ बरेली कोतवाली मे सरकारी धन गबन करने और धोखाधड़ी में मुकदमा दर्ज कराया है। त्रिस्तरीय समिति द्वारा की गई प्रारंभिक जांच मे खुलासा हुआ है कि इन संस्थानों ने आधारहीन दस्तावेजों के सहारे लोन लिया। जब इस मामले को मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने गंभीरता से लिया तो इसे एंटी करप्शन को सौंप दिया गया। जांच में सभी आरोप सही पाए गए हैं। भ्रष्टाचार निवारण संगठन बरेली इकाई से संबंधित आरोपियों के खिलाफ अभियोग पंजीकृत कर लिया गया है। मामले की विचेचना शुरु हो चुकी है। जांच में यह भी पाया गया कि भूमि अभिलेखों की जांच करने वाले तहसील और अन्य विभागीय कर्मियों ने अपनी जिम्मेदारी का सही निर्वहन नही किया। इन कर्मियों पर फर्जी प्रपत्रों को सत्यापित करने का आरोप है। उनके खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई के निर्देश दिए गए है। एंटी करप्शन द्वारा की गई जांच में पता चला कि इन संस्थानों ने गलत तरीके से सरकारी योजनाओं का लाभ उठाना। फर्जी भूमि अभिलेख और अन्य प्रपत्रों के जरिए त्रष्टा स्वीकृत करवाए गए। इन संस्थानों के पदाधिकारियों ने धनराशि का उपयोग निर्धारित उद्देश्यों के बजाय अन्य कार्यों में किया। जांच मे जिन सस्थानों के नाम सामाने आए है। उनमें गायत्री ग्रामोद्योग सेवा संस्थान, सगीर ग्रामोद्योग सेवा संस्थान, सीमा ग्रामोद्योग सेवा संस्थान, स्वास्तिक ग्रामोद्योग सेवा संस्थान, शुक्ला गुड़ खंडसारी ग्रामोद्योग सेवा संस्थान, और जेएमडी ग्रामोद्योग सेवा संस्थान शामिल हैं। इन संस्थानों के कुल 22 पदाधिकारियों समेत 28 पर धोखाधड़ी की धारा 420 व 409 का मुकदमा कोतवाली में दर्ज किया गया है।।
बरेली से कपिल यादव