बरेली। 2024 के लोकसभा चुनाव मे बरेली मंडल की पांचों सीटों पर ऐसे प्रत्याशी की भरमार है जो किसी न किसी वजह से अपने गृह क्षेत्र को छोड़कर दूसरे क्षेत्र से चुनावी ताल ठोंक रहे हैं। सभी जीत के लिए जी जान से जुटे हैं। यही नही जिन क्षेत्र से वे ताल ठोंक रहे है वहां न वे खुद वोट डाल सकेंगे, न ही उनके परिजन। सभी प्रत्याशी अपनी जीत के दावे भी कर रहे है। दूसरे क्षेत्रों मे इनकी मेहनत कितना रंग लाएगी, यह चुनाव परिणाम आने के बाद ही स्पष्ट होगा। जनपद बरेली के बहेड़ी निवासी छत्रपाल गंगवार को इस बार भाजपा ने बरेली लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया है। बहेड़ी कस्बा पीलीभीत लोकसभा क्षेत्र मे आता है जहां पहले ही मतदान हो चुका है। इस लिहाज से छत्रपाल दूसरे अखाड़े मे ताल ठोक रहे है। वह पहले बहेड़ी से विधायक व प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री रह चुके है पर पिछले विधानसभा चुनाव मे सपा के अताउर्रहमान से चुनाव हार गए थे। छत्रपाल के विरोधी उनकी राजनीति खत्म मानकर खुशी जता रहे थे पर पार्टी के फैसले के बाद वह नई ऊर्जा के साथ नया मैदान फतह करने में जुट गए है। वही बदायूं लोकसभा क्षेत्र को समाजवादी पार्टी के गढ़ के रूप मे जाना जाता है। यहां से सपा सुप्रीमो रहे मुलायम सिंह यादव का विशेष जुड़ाव रहा। उन्हीं ने अपने भतीजे धर्मेंद्र यादव को यहां स्थापित कराया। धर्मेंद्र दो बार बदायूं से जीते भी। पिछले चुनाव में स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी संघमित्रा ने उनसे सीट छीन ली। अब कद्दावर नेता शिवपाल यादव के बेटे आदित्य यादव यहां से ताल ठोंक रहे हैं। आदित्य मूल रूप से इटावा के सैफई के निवासी है। वह इफको बोर्ड के डायरेक्टर भी रहे है। आदित्य नई जमीन पर पूरी शिद्दत से जुटे हुए है। यही भाजपा ने अपने सामान्य कार्यकर्ता दुर्विजय शाक्य को कुछ समय पहले ब्रज प्रांत का अध्यक्ष बनाकर ताकत दी। फिर स्वामी प्रसाद फैक्टर के साथ बागी तेवर अपना रही संघमित्रा मौर्य की काट करने के लिए बदायूं संसदीय सीट से उनको टिकट दे दिया। आरएसएस से राजनीतिक सफर शुरू करने वाले दुर्विजय मूल रूप से बदायूं जिले के निवासी जरूर है पर उनका गांव ब्राह्मपुर आंवला लोकसभा क्षेत्र मे आता है। कई साल से दुर्विजय बरेली की नॉर्थ एक्सटेंशन कॉलोनी मे रह रहे हैं और नामांकन में भी उनका यही पता लिखा है। हालांकि, ब्रज प्रांत का पद होने के नाते दुर्विजय शाक्य का बदायूं क्षेत्र में असर होने का दावा किया जा रहा है। इसी के बूते वह जीत का दम भर रहे है। यही बसपा के प्रभावशाली विधायक रहे मुस्लिम खां पर इस बार पार्टी सुप्रीमो मायावती ने फिर भरोसा जताया है। मुस्लिम खां यूं तो बदायूं जिले के निवासी हैं और बदायूं शहर मे उनका घर भी है लेकिन निर्वाचन क्षेत्र के नजरिये से देखा जाए तो वह आंवला लोकसभा क्षेत्र के तहत आने वाले ककराला कस्बे के मूल निवासी है। यानी कि मुस्लिम खां व उनका परिवार ककराला में जो वोट डालेगा। वह आंवला लोकसभा के किसी प्रत्याशी के लिए होगा। मुस्लिम खां की पत्नी ककराला नगर पालिका की चेयरपर्सन भी हैं। माना जा रहा है कि सपा के वोट बैंक में सेंधमारी कर मुस्लिम खां उलटफेर कर सकते है। वही शाहजहांपुर के मूल निवासी जितिन प्रसाद को इस बार भाजपा ने पीलीभीत से चुनाव लड़ाया है। जितिन का पीलीभीत से कोई सीधा संबंध नहीं रहा है। शाहजहांपुर सीट सुरक्षित होने के बाद उन्होंने लखीमपुर की धौरहरा लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में जीत दर्ज की थी। भाजपा में शामिल होने के बाद उन्हें प्रदेश का पीडब्ल्यूडी मंत्री बनाया गया था। जितिन शाहजहांपुर के चर्चित प्रसाद परिवार के वारिस हैं और इन दिनों भाजपा में ब्राह्मण चेहरे के रूप में काम कर रहे हैं। शाहजहांपुर और धौरहरा से पीलीभीत के सटे होने का फायदा जितिन को मिल सकता है। वही पीलीभीत नवाबगंज सीट से पांच बार विधायक रहे सपा के प्रभावशाली नेताओं मे शुमार भगवत सरन गंगवार को सपा मुखिया ने पड़ोस की पीलीभीत लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया था। पहले चरण में वहां चुनाव भी हो चुके हैं। भगवत की कुर्मी बिरादरी के वोटों में अच्छी पकड़ मानी जाती है। वह सपा सरकार मे मंत्री भी रह चुके हैं। हालांकि पिछले दो चुनाव मे उन्हें हार झेलनी पड़ी पर माना जा रहा है कि वरुण के पीलीभीत से हटने के बाद नए समीकरण में भगवत वहां करिश्मा कर सकते है। वही शाहजहांपुर की जलालाबाद विधानसभा सीट से दो बार विधायक रहे नीरज मौर्य वही के निवासी हैं। सपा ने उनको आंवला लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया है। नीरज मौर्य बसपा और भाजपा मे भी रह चुके है। इस बार सपा ने उन पर भरोसा जताते हुए पिछड़े वोटों में सेंधमारी की कोशिश की है। आंवला लोकसभा क्षेत्र से नीरज मौर्य का सीधा वास्ता नहीं है पर पड़ोस की विधानसभा सीट से विधायक रहने के नाते वह स्थानीय भूगोल अच्छी तरह समझने के दावे संग मैदान मे है। बसपा प्रत्याशी आबिद अली उन पर बाहरी प्रत्याशी होने का आरोप लगाते रहे है पर नीरज मौर्य के समर्थक उनको बाहरी नही मानते।।
बरेली से कपिल यादव