बाड़मेर /राजस्थान- अब लगभग यह तय होगया है कि सचिन पायलट प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने वाले नही है । दिल्ली से इस बात के संकेत मिल चुके है कि अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री पद से नही हटाया जाएगा । ऐसी स्थिति में पायलट का अगला कदम क्या होगा, इस पर सभी की निगाह टिकी हुई है । निश्चित रूप से दोनों के बीच आसानी से जंग थमने वाली है । कांग्रेस को वास्तव में आगामी चुनाव जीतना है तो दोनों का हाथ मिलाना ही श्रेयस्कर होगा वरना………?
उधर बीजेपी ने एक कद्दावर नेता को पायलट से बातचीत के लिए अनौपचारिक तौर पर नियुक्त किया है । इस नेता को राजनीति का चाणक्य माना जाता है । बीजेपी को वैसे भी आने वाले चुनावों में वसुंधरा के खिलाफ मजबूत विकल्प की तलाश है । बीजेपी की तर्ज पर आम आदमी पार्टी भी पायलट को अपने खेमे में शामिल करने के प्रयासों में जुट गई है इसलिए आप के संजय सिंह को पायलट का मूड भांपने की जिम्मेदारी सौंपी गई है ।
हाल ही में मुख्यमंत्री जब दिल्ली गए थे तब उम्मीद जताई जा रही थी कि राजस्थान की राजनीति में बहुत बड़ा बदलाव होने वाला है । लेकिन ऐसा कुछ भी नही हुआ । राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे नही चाहते है कि चुनाव से ठीक पहले प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन हो । पंजाब में यह फार्मूला पूरी तरह फ्लॉप साबित हुआ । चर्चा यह भी है कि पायलट की राहुल से भी मुलाकात हुई । लेकिन राहुल ने किसी तरह का दखल देने से फिलहाल इनकार कर दिया ।
जिस तरह के संकेत मिले है, उससे जाहिर होता है कि पायलट को सीएम की कुर्सी नही सौपी जाएगी । महत्वपूर्ण सवाल यह है कि आखिर पायलट करेंगे क्या ? अशोक गहलोत के कार्यो की पब्लिसिटी करना उनका मुख्य उद्देश्य होगा अथवा वे सीएम पर प्रहार करेंगे ? हकीकत यह है कि पायलट जादूगर के जाल में उलझकर रह गए है । पार्टी में रहते है तो पायलट को सरकार के कामकाज की मजबूरीवश पूपाड़ी बजानी ही पड़ेगी ।
उधर गहलोत ने कांग्रेस ही नही, अन्य पार्टियों के विधायकों तक की मौज करदी । किसी ने सोचा भी नही था कि सीएम नए जिलो की बरसात कर विधायको की बल्ले बल्ले कर देंगे । ओपीएस, गैस सिलेंडर पर सब्सिडी तथा चिरंजीवी योजना का मास्टर स्ट्रोक खेला है । वे कुर्सी पर काबिज है । हो सकता है कि अभी वे कोई और नया जादू दिखादे । उम्मीद है कि दो तीन नए जिले और बनाए जा सकते है ।
एक मिनट को मान लिया जाए कि पायलट को सीएम की कुर्सी सौपी जाती है । सवाल यह है कि सीएम की कुर्सी पाने के बाद हासिल कुछ नही होने वाला है । लगभग सारी राजनीतिक नियुक्तियां हो चुकी है । विधायक और अफसरों को भरपूर रूप से उपकृत किया जा चुका । ऐसे में पायलट को केवल खाली पोटली ही मिलेगी । पायलट की जनता में जबरदस्त पकड़ है । लेकिन विधायक आज भी गहलोत के मुरीद है । इसके अलावा दिल्ली के शीर्ष नेताओं को भी गहलोत ने जबरदस्त तरीके से वशीकृत कर रखा है ।
– राजस्थान से राजूचारण