लॉक डाउन के चलते रमज़ान में चारो ओर महँगाई की मार: ग़रीब कैसे करे इफ्तार

शेरकोट /बिजनौर- आढ़तियों द्वारा की जा रही जमा ख़ोरी को बढ़ती महँगाई का कारण माना जा रहा है । बाजार में भीड़ तो बहुत है पर खरीददार नही है।

प्राप्त जानकारी के रमज़ानुल मुबारक के महीने में जमा ख़ोरी के कारण महँगाई ने आसमान छू लिया है
फल खजला फैनी बर्फ ठंडाई तो जैसे ग़रीबों के लिए मात्र सपना बन कर रह गई है।
रमज़ान से दो दिन पहले के दामो में आखिर दो ही दिनों में क्या ग़ज़ब हो गया कि दो दिन पूर्व केले के दाम 30 रुपये दर्जन थे वही रमज़ान शुरू होते ही दोगुने यानी 50, 60 रुपये हो गये अंगूर 40 से बढ़कर 60 खरबूजा 30 से बढ़कर 40 सेब 70 से बढ़कर 120 यही हाल अन्य फलों का है

नगर में रमजान शुरू होते ही फलों की कीमतें आसमान छू रही है रमजान के पवित्र महीने में एक तो लॉक डाउन का प्रकोप कुछ रोजेदारों पर पड़ रहा है भारी तो दूसरा फलों की महंगाई दोनों ही रोजेदारों के लिए परेशानी का सबब बन रही है
रमजान के शुरू होते ही फलों के दामों की बढ़ोतरी हो गई है इससे रोजेदारों की खरीदारी भी महंगी हो गई है रमजान के महीना शुरू होते ही फलों के दाम आसमान छूने लगे है रमजान शुरू होने के तुरंत बाद ही फलों के दामों में लगभग 100 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो गई है यानी दाम दोगुने हो गए जबकि रमजान माह में रोजेदारों के लिए फलों का सेवन करना बहुत जरूरी होता है बाजार में जांच पड़ताल के बाद पता चला कि फलों में रमजान के सुरु होते ही बढ़ोतरी हुई है अचानक फलों के दाम आसमान छूने लगे हैं इससे आम आदमी फलों की खरीदारी करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है अगर आज फलों की कीमत का अंदाजा लिया जाए तो शेरकोट में फलों के दाम के बढ़ने का कारण आढ़तियों व ठेकेदारों की जमाखोरी है इन की हठधर्मिता से ही आज फल फ्रूट आम आदमी की प्लेट से दूर होते जा रहे है यदि यही हाल रहा तो लॉक डाउन में ग़रीब व्यक्ति अपनी ग़रीबी की दुहाई देकर अपने मासूम बच्चों का मन मारेगा ऐसे में गरीब रोजदार रोजा खोले तो कैसे खोले खोलें उसके पास पानी के सिवा कोई और चारा नहीं होगा।
रिपोर्ट अमित कुमार रवि

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