बरेली। राजस्व विभाग की परंपरा सबसे प्राचीन है। यह मुगलकाल से चली आ रही है। लेखपाल ऐसा पद है जिसके बिना राजस्व विभाग की कल्पना नही की जा सकती है। जिस तरह किसी भवन की कल्पना नींव के बिना नही की जा सकती है, उसी प्रकार लेखपाल के बिना राजस्व विभाग की कल्पना नहीं की जा सकती है। यह कहना है जिलाधिकारी शिवाकान्त द्विवेदी का। सोमवार को तहसील सदर सभागार में आयोजित उप्र लेखपाल संघ के स्थापना दिवस को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि किसी सरकार की छवि या जिले मे जिला प्रशासन की छवि व लेखपाल की कर्मठता, ईमानदारी तथा संवेदनशीलता रूपी छवि पर निर्भर करती है। राजस्व अधिकारियों का भरोसा सबसे ज्यादा लेखपालों पर होता है। लेखपाल का कार्य सरकार के कल्याणकारी योजनाओं को आमजन तक पहुंचाना होता है। शासन और प्रशासन के लिए लेखपाल ही जनता की रिपोर्टिंग करते हैं। चौबारी मेले में सबसे ज्यादा संतुष्ट तब हुआ, जब मेले में लेखपालों को महत्वपूर्ण भूमिका में लगाया गया। जिलाधिकारी ने लेखपाल संघ द्वारा चयनित पात्र लाभार्थियों को कंबल वितरित किया। जिलाध्यक्ष संजीव सिंह ने सभी अधिकारी एवं लेखपालों को लेखपाल संघ के 60वें स्थापना दिवस की बधाई दी। संघ के संस्थापक मुरारी लाल शर्मा को उत्तर प्रदेश लेखपाल संघ की स्थापना करने के लिए याद किया। कार्यक्रम में तहसीलदार सदर अनिल कुमार, जिला सूचना अधिकारी योगेन्द्र प्रताप सिंह, जिला मंत्री भूषित सक्सेना, तहसील मंत्री राजेश कुमार सहित अन्य पदाधिकारी उपस्थित रहे।।
बरेली से कपिल यादव