बरेली। युवती पर जबरन धर्म परिवर्तन का दबाव बनाने के एक चर्चित मामले मे जिला जज ने आरोपी तौफीक को तीन साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। अदालत ने दोषी पर 29 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। जिसमें से आधी राशि पीड़िता को देने का आदेश दिया गया है। डीजीसी क्राइम रीतराम राजपूत ने बताया कि सिरौली थाने मे पीड़िता ने 20 अक्तूबर 2024 को मुकदमा दर्ज कराया था। शिकायत मे कहा गया था कि व्योधन खुर्द निवासी तौफीक ने उसे गुमराह कर प्रेमजाल मे फंसाया और निकाह के लिए धर्म परिवर्तन का दबाव बनाया। इतना ही नही उसने पीड़िता का नाम बदलकर शबनम रख दिया और लगातार इसी नाम से पुकारता रहा। पीड़िता ने आरोप लगाया कि तौफीक आए दिन रास्ता रोककर उसे परेशान करता था। तौफीक ने उसके साथी कर्मचारी को भी जान से मारने की धमकी दी थी। आरोपी के खिलाफ चोरी और लूट के कई मामले पहले से भी दर्ज थे। शिकायत पर पुलिस ने तौफीक के खिलाफ उप्र विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन अधिनियम और बीएनएस में मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की थी। उप्र विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन अधिनियम में बरेली मे हुई पहली सजा डीजीसी क्राइम रीतराम राजपूत ने बताया कि उप्र विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन अधिनियम वर्ष 2021 मे लागू हुआ था। पीड़िता की तहरीर पर 20 अक्टूबर 2024 को इस विशेष अधिनियम और बीएनएस में सिरौली थाने मे रिपोर्ट दर्ज हुई थी। चार्जशीट दाखिल होने के बाद अदालत ने 20 दिसंबर 2024 को संज्ञान लेकर केस पत्रावली को जिला जज की अदालत को सुपुर्द किया था। जिला जज की अदालत ने 28 जनवरी 2025 को नए अधिनियम और बीएनएस में आरोप तय करके सुनवाई शुरू की। यह विशेष अधिनियम लागू होने के बाद बरेली की अदालत ने मात्र छह माह 20 दिन मे ही सुनवाई पूरी कर पहला फैसला सुनाया है।।
बरेली से कपिल यादव