बरेली। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के बाद 30 अप्रैल से लॉकडाउन झेल रहे रेहड़ी, ठेला व खोमचे वालों की आर्थिक मदद का रास्ता साफ होने लगा है। गरीब, रोज कमाने-खाने वाले बेहद अल्प आय वाले वर्गों को यह फायदा दिया जाना है। नगर निगम पहले यह सर्वे करा चुका है लेकिन अब के शासनादेश में कई बदलाव हैं। अब रेहड़ी दुकानदारों के साथ ई-रिक्शा चालक, नाविक, कुली, पल्लेदार, नाई, धोबी, मोची व हलवाई सहित रोज कमाने वालों को भी शामिल किया गया है। जिले मे करीब 18000 फड़ व रेहड़ी वालों का सर्वेक्षण पहले हो चुका था जिन्हें आर्थिक मदद मिलने की राह खुल गई है। विशेष सचिव डॉ. इंद्रमणि त्रिपाठी की ओर से जारी आदेश यहां नगर निगम प्रशासन के पास भी पहुंच गए हैं। नगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि फड़ व रेहड़ी दुकानदारों का सर्वे पहले ही हो चुका है। शासनादेश आते ही इसके संबंध में अन्य लोगों को भी जोड़ कर जरूरी सूचनाएं भी भेजी जा रही हैं। सरकार सभी पंजीकृत पटरी दुकानदारों को आर्थिक सहायता के रूप में एक-एक हजार रुपये देने के साथ तीन महीने का राशन भी मिलेगा। पिछले साल भी सरकार ने कोरोना संक्रमण के दौरान फड़ व रेहड़ी विक्रेताओं को आर्थिक मदद दी थी। योगी आदित्यनाथ ने एक बार फिर रोज कमाने खाने वालों को आर्थिक मदद देने का फैसला लिया है जिसमें कुछ अन्य वर्ग के गरीब भी अब जोड़े जाने हैं। नगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि फड़ व रेहड़ी दुकानदारों के साथ अन्य दूसरे वर्गों के लोगों के नाम-पतों के साथ दूसरी तमाम सूचनाएं निगम से शासन को उपलब्ध करानी है। इसके लिए नगर निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों को भी सर्वे पर लगा दिया गया है। नगर निगम के कर अधीक्षक ललितेश सक्सेना ने बताया कि लॉकडाउन की वजह से रेहड़ी, फड़ व रोज कमाने वाले आर्थिक रूप से काफी परेशान हैं। सरकार ने छोटे दुकानदारों के साथ अन्य वर्गों को इस कठिन दौर में जो आर्थिक मदद देने का फैसला लिया है, वह स्वागत योग्य है। यह धनराशि जल्द से जल्द दुकानदारों के खाते में स्थानांतरित होने से उन्हें काफी राहत मिल सकेगी।।
बरेली से कपिल यादव