राष्ट्रीय यक्ष्मा (टीबी) रोग उन्मूलन कार्यक्रम के तहत आशा फैसिलिटेटरों को दिया गया प्रशिक्षण

  • बेतिया अनुमंडल की आशा फैसिलिटेटरों का हुआ एकदिवसीय प्रशिक्षण
  • आशा कार्यकर्ताओं के माध्यम से लोगों को किया जाएगा जागरूक

बेतिया/बिहार- राष्ट्रीय यक्ष्मा (टीबी) रोग उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जीएनएम स्कूल में बेतिया अनुमंडल की आशा फैसिलिटेटरों का एकदिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। प्रशिक्षण एसटीएलएस राकेश कुमार वर्मा, एसटीएस प्रभुनाथ राम, केएचपीटी जिला लीड-मेनका सिंह, सीसी डॉ घनश्याम आदि के द्वारा दी गई। इस दौरान एनसीडीओ डॉ मुर्तुजा अंसारी ने बताया कि प्रशिक्षित फैसिलिटेटर आशा कार्यकर्ता के द्वारा घर-घर जाकर टीबी को लेकर लोगों को जागरूक करेंगी। साथ ही टीबी के लक्षणों वाले मरीजों के सैंपल लेने और उनको जागरूक करने का काम भी करेंगी।

  • आशा कार्यकर्ताओं के माध्यम से लोगों को किया जाएगा जागरूक

जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ टीएन प्रसाद ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग सक्रिय टीबी रोगी खोज अभियान शुरू करने की तैयारी में है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2025 तक जिले को यक्ष्मा मुक्त बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिले में कई प्रयास किए जा रहे हैं। इसमें आशा कार्यकर्ताओं की भूमिका अहम है । उन्होंने बताया कि हर आशा को प्रतिमाह कम से कम पांच टीबी के लक्षणों वाले मरीजों की जांच करानी है। ताकि, ज्यादा से ज्यादा टीबी की जांच हो सके। यक्ष्मा पदाधिकारी ने बताया कि टीबी एक संक्रामक बीमारी है जो समय पर जांच व इलाज के अभाव में जानलेवा भी हो सकती है। साथ ही, मरीज के संपर्क में रहने वाले उसके परिजनों में भी टीबी के संक्रमण की संभावना प्रबल रहती है। दियारा इलाका होने के कारण लोगों में टीबी के प्रति जागरूकता की कमी है। जिसे आशा के माध्यम से दूर किया जाएगा। टीबी के लक्षणों वाले मरीजों में टीबी की पुष्टि होने पर उनके पारिवारिक सदस्यों को भी टीबी प्रिवेंटिव ट्रीटमेंट (टीपीटी) दिया जाता है, ताकि परिवार के अन्य सदस्यों में यह बीमारी नहीं फैले।

  • आशा को मिलेंगे 500 रुपये

केएचपीटी जिला लीड-मेनका सिंह ने बताया की टीबी रोगी खोजी अभियान के दौरान आशा कार्यकर्ताएं टीबी के लक्षणों वाले मरीजों को जांच के लिए पीएचसी रेफर करेंगी। जिसमें रोग की पुष्टि होने पर उन्हें प्रथम सूचक के रूप में 500 रुपये की राशि की भुगतान की जाती है। वहीं, निश्चय पोर्टल पर मरीजों का डाटा अपलोड होते ही पूरा इलाज उनके घर पर ही डॉटस प्रोवाइडर के माध्यम से नि:शुल्क किया जाता है। साथ ही मरीजों को इलाज अवधि में प्रतिमाह 500 रुपये निक्षय पोषण योजना के अंतर्गत उनके बैंक खाता में दी जाती है। कार्यक्रम में जिला स्वास्थ्य समिति के डॉ अरास मुन्ना, अमन कुमार, एसटीएस रंजन कुमार वर्मा, सूरज कुमार केएचपीटी के अनिल कुमार आदि उपस्थित रहे ।

– बिहार से नसीम रब्बानी

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