बरेली – अखिल भारतीय साहित्य परिषद बरेली एवं राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान उत्तर प्रदेश के संयुक्त तत्वावधान में विचार गोष्ठी एवं काव्य समागम का आयोजन किया गया । विचार गोष्ठी का विषय था – हिन्दी साहित्य के विकास में रामचंद्र शुक्ल और शिवानी का योगदान ” । स्टेडियम रोड स्थित कैम्ब्रिज स्कूल के सभागार में आयोजित कार्यक्रम में पचास से अधिक साहित्यकार एवं प्रबुद्ध जन मौजूद रहे ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता लखनऊ से आए उत्तर प्रदेश शासन के सेवानिवृत्त विशेष सचिव एवं बरिष्ठ साहित्यकार हरि प्रकाश हरि ने की । राजश्री ग्रुप की चेयरपर्सन एवं बरिष्ठ साहित्यकार मोनिका अग्रवाल कार्यक्रम की मुख्य अतिथि रहीं । प्रांतीय अध्यक्ष साहित्य भूषण सुरेश बाबू मिश्रा ,बरेली कालेज के पूर्व प्रोफेसर डाॅ के . ए. वार्ष्णेय तथा मानव सेवा क्लब के अध्यक्ष सुरेन्द्र वीनू सिन्हा कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि रहे ।
कार्यक्रम का आयोजन साहित्य परिषद की प्रांतीय संगठन मंत्री निरुपमा अग्रवाल ने किया । कार्यक्रम का सफल संचालन कवि रोहित राकेश ने किया ।
कार्यक्रम के प्रथम सत्र में विचार गोष्ठी का आयोजन हुआ । मुख्य अतिथि मोनिका अग्रवाल ने कहा कि रामचंद्र शुक्ल और गौरा पंत शिवानी ने हिन्दी साहित्य के विकास में श्लाघनीय योगदान दिया । उनकी रचनाएं हिन्दी साहित्य की अनमोल धरोहर हैं ।
साहित्य भूषण सुरेश बाबू मिश्रा ने कहा कि अक्षरों से शब्द, शब्दों से बाक्य और बाक्यों से विचार बनते हैं । विचारों से ही साहित्य का सृजन होता है । आचार्य रामचंद्र शुक्ल और गौरा पंत शिवानी कालजयी रचनाकार हैं । उन्होंने हिन्दी के आधुनिक काल में लोक कल्याणकारी साहित्य का सृजन किया ।
विचार गोष्ठी में प्रोफेसर डाॅ विनीता सिंह , पूर्व प्रोफेसर डाॅ के ए वार्ष्णेय, बरेली कालेज के पूर्व हिन्दी विभागाध्यक्ष डाॅ एस पी मौर्य तथा सुरेन्द्र वीनू सिन्हा ने विचार व्यक्त किए ।
कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया । कवियत्री डाक्टर मोनिका अग्रवाल ने यह पंक्तियां प्रस्तुत कर खूब तालियां बटोरीं –
जल और जाल
नाम में
रखा ही क्या है
मुझे मछली कहा जाए
मीन या फिर मत्स्य
इससे फर्क़ भी क्या पड़ता है ।
डाॅ एस पी मौर्य ने अपनी रचना इस अंदाज में प्रस्तुत की –
यहाँ पर उड़ने वाले ठोकरें खाकर संभलते हैं ।
वहीं देते हैं जग को गंध जो कांटों में खिलते हैं ।
बहारें चाहने वालों ना घबरा जाना पतझर में ,
मज़ा है उनके मिलने में जो कुछ देरी से मिलते हैं ।।
कवि संजय पाण्डेय गौहर ने यह पंक्तियां प्रस्तुत कर खूब बाहबाही लूटी । उच्च शिखर पर पहुंचाने में
उपयोगी है खंदक भी ।।
जैसे ज़ख्म को भर देती है
जलने वाली गंधक भी ।।
जीवन की इस कठिन डगर में
गर आगे बढ़ना चाहें ।
अपने साथ हमेशा रखिए
निंदक भी शुभ चिंतक भी ।।
पीलीभीत से आए डाॅ दिनेश गोस्वामी ने पढ़ा – सर ऊँचा तभी होगा झुके गर माँ के चरणों में।
अभागे वह झुकाते जो नहीं सर माँ के चरणों में ।
न तो मंदिर , न ही मस्जिद , न गुरुद्वारा , न ही गिरिजा-
खुल जाते हैं किस्मत के सभी दर माँ के चरणों में।।
नवाबगंज से पधारे कवि डाक्टर चैतन्य चेतन ने कहा –
आसमा को झुका लिया हमने
हक का परचम उठा लिया हमने
जीत कर जीत जो नहीं पाते
हार कर वो भी पा लिया हमने ।
मंच संचालन करते हुए रोहित राकेश ने कहा –
कभी न हिले वह बुनियाद चाहिए,
वतन हमेशा ही आबाद चाहिए
पूर्व राजभाषा अधिकारी प्रभाकर मिश्रा ने कुछ इस अंदाज में श्रोताओं को गुदगुदाया – एक नाज़नीं के नाज़ उठाने में लगा हूँ।
यूँ समझिए कि पाँव दबाने में लगा हूँ।
रूठी है कल शाम से, रोटी नहीं मिली,
भूखा हूँ इस कदर कि मनाने में लगा हूँ।
कवियत्री निरुपमा अग्रवाल ने यह पंक्तियां प्रस्तुत कर माहौल भावपूर्ण बना दिया –
मिलता है जब दिवस संध्या से ।
वह भी बंधे बालों में जंगली फूल खोस, महसूस करती है ।
पीठ से बंधे बच्चे के पिता को अपने करीब ।
वह पल भर की ख़ुशी रचती है कविता मैंने कब कहा.. मेरे शब्द हैं कविता ।
काव्य गोष्ठी मे डाॅ हरि प्रकाश हरि ,पी के दीवाना , प्रवीण कुमार शर्मा जिला इको क्लब बरेली,डाॅ अनिल मिश्रा ,डाॅ रवि प्रकाश शर्मा , उमेश त्रिगुणायत अद्भुत, सतीश नारायण पाण्डेय , निर्दोष विन , डाॅ दीपांकर गुप्ता ,छोटे लाल गंगवार ,अनुराग उपाध्याय आदि कवियों ने रचना पाठ किया ।
इस अवसर प्रधानाचार्य राम पाल सिंह, प्रधानाचार्य रवि शंकर गौड़ ,कृष्ण स्वरुप सक्सेना , ओम प्रकाश अरोरा ,विनोद कुमार गुप्ता , डाॅ दिनेश कुमार शर्मा ,लाल बहादुर गंगवार सहित बड़ी संख्या में प्रबुद्ध जन मौजूद रहे।
– बरेली से पी के शर्मा