राज्य सभा टीवी से निकाले गये 37 कर्मचारियों की बहाली के लिए जेसीआई ने लगाई राष्ट्रपति से गुहार

बरेली- राज्य सभा टीवी से निकाले गये 37 कर्मचारियों की बहाली के साथ वैकल्पिक व्यवस्था के बारे में जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ इंडिया ने पत्र के माध्यम से महामहिम राष्ट्रपति से गुहार लगाई है।

जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ इंड़िया के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुराग सक्सेना व राष्ट्रीय सचिव दानिश जमाल ने महामहिम राष्ट्रपति को भेजे अपने पत्र मे कहा है कि पत्रकारो का संगठन जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ इंड़िया यूट्यूब पर राज्य सभा टीवी के दर्शकों की संख्या 50 लाख तक पहुंचने की भी आपको बधाई देता है। साथ ही आपके संज्ञान मे यह बात भी लाना चाहता है कि इस उपलब्धि में वे लोग भी सहभागी रहे हैं जिनको कोरोना संकट के दौरान बिना किसी पूर्व सूचना के अचानक 30 सितंबर को निकाल दिया गया। राज्य सभा टीवी के कई वरिष्ठ और कनिष्ठ पत्रकार जुड़े हैं।
जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ इंड़िया इस फैसले के पुनर्विचार के लिए आपसे अनुरोध करती है । क्योंकि कोरोना संकट के दौरान एक संसदीय चैनल से इस तरह इतनी बड़ा तादाद में कर्मचारियों को निकाले जाने से मीडिया की दुनिया में एक गलत संकेत जा रहा है। हमें लगता है कि इसमें नियम प्रक्रियाओं और नोटिस की औपचारिकता को भी नहीं पूरा किया गया है।
महोदय माननीय उपराष्ट्रपति महोदय की आपकी ओर से मई में इस बात का आश्वासन दिया गया था कि दिसंबर तक किसी को भी हटाया नहीं जाएगा। ऐसी भी जानकारी हमे मिली थी।
प्रधानमंत्री जी ने भी कोरोना काल में निजी कारोबारियों तक से इस बाबत अपील की थी। और हाल में नई श्रम संहिता पर चर्चा में भी इस मुद्दे पर बहुत सी बातें उठीं और सरकार ने भरोसा दिया था कि पत्रकारों समेत सभी श्रमिकों के हितों की इससे बेहतर रक्षा होगी। ऐसे दौर में अगर संसद के टीवी चैनल में ऐसी घटना होती है तो चिंता का विषय है। संकट के इस दौर में इतने लोग कहां जाएंगे और अपनी आजीविका के लिए क्या करेगे।

हमें इस बात से कोई ऐतराज नहीं है कि लोक सभा और राज्य सभा टीवी का एकीकरण या मर्जर हो। लेकिन इसमें पहले से काम कर रहे अनुभवी पत्रकारों और गैर पत्रकारों के हितों की रक्षा भी हो ।ऐसा संगठन का मानना है।
लेकिन इस पूरे मामले का सबसे चिंताजनक पक्ष यह रहा कि किसी को न तो पहले नोटिस दिया गया और न ही इस बात की भनक लगने दी गई कि उनको हटाया जा रहा है। जो काम नहीं कर रहे थे और आरोपित थे, यहां तक कि जिनको हटाने के लिए कार्यवाही सुनिश्चित थी वे सुरक्षित बने रहे, जबकि सबसे अधिक कामकाजी लोग और एक दशक से राज्य सभा टीवी की प्रतिष्ठा बढाने वालों को हटा दिया गया। राज्य सभा को अगर इस अभियान से धन की बचत करनी थी तो कोरोना संकट के दौरान ऐसे रास्ते निकाले जा सकते थे, जिससे कर्मचारियों की आजीविका भी बची रहे और धन की बचत भी हो जाये। लेकिन ऐसी किसी संभावना पर काम नहीं किया गया। जिनको निकाला गया उसमें दिल्ली सरकार को कवर करने वाली एक पत्रकार आठ महीने के गर्भ से है। जिनका कार्यकाल दो साल का बचा था, उनको निकालने के साथ पहली बार एक एक माह की कांट्रैक्ट की अवधि करना भी किसी लिहाज से उचित नहीं था। लेकिन ऐसा करके आपकी पत्रकार हितैषी छवि और गरिमा को आहत करने का कुचक्र कुछ अधिकारियों ने रच डाला। इसका लक्ष्य संसद टीवी के बनने की प्रक्रिया में अच्छे लोगों को बाहर कर एक खास गुट का कब्जा स्थापित करना भी हो सकता है। जरूरी है कि इन सारे तथ्यों की गहराई के साथ पड़ताल करायी जाये तो बहुत सी चौंकाने वाली जानकारियां सामने आ सकती हैं।
आपसे संगठन इस पत्र के माध्यम से निवेदन करता है कि आप राज्य सभा सचिवालय को निर्देश देने की कृपा करें कि इन कर्मचारियों की वापसी के लिए जरूरी कदम उठाए जायें। इस बात की भी जांच का आदेश दें कि किन लोगों ने इतने लोगों के भविष्य को अंधेरे में डालते हुए श्रम कानूनों का उल्लंघन क्यों किया। इस समय इस मुद्दे पर आंदोलन की स्थिति बन रही है। कई लोग अदालतों में जाएंगे इससे अंततोगत्वा राज्य सभा सचिवालय पर ही आंच आएगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *