बाड़मेर/राजस्थान- राजस्व मंडल अजमेर में ग्यारह फरवरी 2023 शनिवार को आयोजित होने वाली प्रथम राष्ट्रीय लोक अदालत के लिए रालसा से प्राप्त गाईड-लाइन में पैरा संख्या 0 के संबंध में राजस्व मण्डल अजमेर में प्री-काउसलिंग कैम्प का आयोजन किया जाएगा और इस आयोजित होने वाले प्री-काउंसलिंग कैम्प में जिला विधिक प्राधिकरण, अजमेर की ओर से सुरेश सिन्धी सेवा निवृत्त आर.ए.एस (सदस्य स्थायी लोक अदालत ) प्रो-बोनो आधार पर अपनी सेवाएं प्रदान करेंगें।
इस दौरान स्थायी लोक अदालत के सदस्य सुरेश सिन्धी ने बताया कि ऐसे प्रकरण जिनमें राजीनामे की संभावना हो उन्हें चिन्हित राष्ट्रीय लोक अदालत में निस्तारित करने का ज्यादा से ज्यादा प्रयास करेंगे। जिसमें मुख्य रूप से लंबित प्रकरण राजस्व विवाद, सीमाज्ञान, नामांतकरण, राजस्व अभिलेख में सुधार, पैमाइश, डिवीजन ऑफ हॉल्डिंग एवं रास्ते संबंधी विवाद के प्रकरणों के प्री काउंसिलिंग और डोर स्टैप काउंसिलिंग कर अधिक से अधिक लोगों से संपर्क कर प्रकरणों के निस्तारण के प्रयास किए जाएगें।
लोक अदालत की महत्वता बताते हुए सुरेश सिन्धी ने कहा कि पक्षकारों के बीच वर्षों से चल रहे विवादों को अधिकारीगण स्वंय समझा बुझाकर काउंसिलिंग के तहत निपटारा करा सकते हैं। उन्होंने कहा कि इसमें सभी जिलों में राजस्व अधिकारी अपने अपने क्षेत्र में अधिक से अधिक प्रकरण समझाइश से निपटाए जा सकेंगे।
लोक अदालत के बारे में ज्यादा जानकारी देते हुए सुरेश सिन्धी ने बताया कि सरकार द्वारा लोक अदालत सुलह कराने की नियत से शुरू की गई थी। यह ऐसा तंत्र है, जिसके जरिए कानूनी विवादों को अदालत के बाहर आपसी सहमति से हल कर लिया जाता हैं।
लोक अदालत के बारे में ज्यादा जानकारी देते हुए अधिवक्ता कुमार कौशल अम्बा लाल जोशी ने बताया कि आम बोलचाल की भाषा में पुराने समय में बड़े बुजुर्गों द्वारा आपसी सहमति और मान मनुहारो से लोगो का आपसी विवादों को निपटया जाता था ओर सरकार द्वारा सालों से चलने वाले मामलों के निपटारे का वैकल्पिक माध्यम ही लोक अदालत है। इसे आम बोलचाल की भाषा में लोगों की अदालत भी कहते है। लोक अदालत का आदेश या फैसला आखिरी होता है। इसके फैसले के बाद कही पर भी कोई अपील नहीं की जा सकती। लोक अदालत सभी दीवानी मामलों, वैवाहिक विवाद, भूमि विवाद, बंटवारे या संपत्ति विवाद, श्रम विवाद सहित अन्य कई मामलों आदि गैर- आपराधिक मामलों का तुरंत ही निपटारा करती है।
– राजस्थान से राजूचारण