जयपुर/राजस्थान – पुलिस कॉन्स्टेबल भर्ती के लिए ऑनलाइन परीक्षा में मात खा चुकी राजस्थान पुलिस अब दूध के जले की तरह छाछ भी फूंक-फूंककर पी रही है। इस बार ऑनलाइन की जगह लिखित परीक्षा ली जा रही है और इसे फुलप्रूफ बनाने के चक्कर में पूरे प्रदेश को 21वीं से वापस 19वीं सदी में पहुंचा दिया है।
पुलिस ने नकल रोकने के चक्कर में शनिवार-रविवार दो दिन के लिए इंटरनेट सेवा बन्द करा दी है। इससे प्रदेश के लोगों में जबरदस्त आक्रोश है।
शनिवार को दिन निकलने के साथ ही लोगों के मोबाइल, लैपटॉप, टेबलेट पर इंटरनेट सेवा बन्द कर दी गई। आमजन के कामों सहित प्राइवेट कंपनियों और खुद सरकारी महकमों का कामकाज ठप हो गया है।
अजमेर के एक परीक्षा केन्द्र में कक्षा कक्ष के बाहर लगाया गया जैमर। हर कमरे के बाहर ऐसे ही जैमर लगाए गए हैं।
ई-मित्र पर सरकारी सेवाओं का लाभ लेने आए लोग बैरंग लौट रहे हैं। परीक्षाओं के ऑनलाइन फार्म भरने, चालान जमा कराने आदि का काम नहीं हो रहा हैं।
लोगों में इस बात को लेकर रोष है कि पुलिस अपनी कमजोरी छिपाने के लिए आमजन को परेशान कर रही है। परीक्षा केंद्रों पर पुलिस ने जैमर लगा दिए हैं तो फिर पूरे प्रदेश में इंटरनेट सेवा बन्द करने का औचित्य क्या है। क्या राजस्थान पुलिस को अपने संसाधनों-मुखबिर तंत्र पर विश्वास नहीं रहा।
पुलिस इस परीक्षा में नकल रोकने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है। जोधपुर में नकल कराने वाला गिरोह पहले ही पकड़ा जा चुका है। चित्तौड़ में पेपर आउट के शक में कोचिंग सेंटर पर छापा मारा गया है। पुराने नकलचियों को पहले ही हवालात में लाकर बैठा दिया गया है। हर परीक्षा केन्द्र को ‘हाई सिक्युरिटी जेल’ बना दिया गया है।
गृह मंत्री गुलाबचंद कटारिया खुद आश्वस्त नहीं हैं। उनका कहना है कि परीक्षा ‘भगवान भरोसे’ सम्पन्न हो जाए तो इज्जत बच जाए। ऐसे में सवाल उठता है कि अपनी नाक बचाने के लिए पूरे प्रदेश का इंटरनेट बन्द करना कहां तक जायज है?
– दिनेश लूणिया सादड़ी