कुशीनगर- उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षक विहीन विद्यालयों के बन्द तालों को खोलकर उसे सत्रह वर्षों तक अपने हृदय रक्त से सिंचित करने वाले शिक्षामित्र आज राजनीतिक द्वेष की चक्की मे पीस रहे हैं।न्यायपालिका से अयोग्य घोषित इन शिक्षामित्रों के लिए लगता है न तो राज्य सरकार है और ना ही केन्द्र सरकार। इतना ही नहीं लोकतंत्र की बात तो इनके लिए बेमानी ही है।
कहते हैं “लोकतंत्र जनता का जनता के लिए जनता द्वारा शासन है।” तद्नुरूप हमारे पूर्वजों ने भारत को दुनिया मे एक शसक्त लोकतंत्र के रूप में प्रतिस्थापित करने का सफल प्रयास भी किया जिसके बलबूते आज विश्व पटल पर शसक्त लोकतांत्रिक राष्ट्रों की श्रेणी मे अग्रणी स्थान रखते हैं किन्तु वर्तमान परिस्थितियां कुछ और ही बयां कर रहीं हैं।जिसका जिता जागता उदाहरण उत्तर प्रदेश के शिक्षामित्रों के साथ हो रहा सौतेला व्यवहार है।क्योंकि कोई भी लोकतांत्रिक सरकार जनता के प्रति अपने उत्तरदायित्व से मुंह नही मोड़ सकती किन्तु वर्तमान उत्तर प्रदेश एवं केंद्र की भाजपा सरकार प्रचंड बहुमत के नशे में इस कदर मदमस्त ह़ो चुकी है कि जहाँ एक ओर दिन प्रतिदिन आत्महत्या कर रहे शिक्षामित्रों के लिए सांत्वना के दो शब्द तक नही निकल रहे वहीं दूसरी ओर भूख से हुई एक मौत के लिए जिले के जिलाधिकारी सहित तमाम अधिकारियों को कठघरे में खड़ा किया जाता है।मैं ये नही कहता कि भूख से हुई मौतों के लिए जिम्मेदारों को सजा नहीं मिलनी चाहिए बल्कि वही व्यवस्था, वही सजा उन्हें भी मिलनी चाहिए जिनकी गलत नीतियों की वजह से आज नीरीह शिक्षामित्र आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे हैं।
माना कि पूर्व सरकार द्वारा कुछ गलतियां हो गईं किन्तु ये गलतियां तोड़ने के लिए नहीं जोड़ने के लिए की गईं, एक लाख बहत्तर हजार परिवारों में खुशियां भरने के लिए की गईं।ऐसे में इन बेबस शिक्षामित्रों की क्या गलती है जिन्हें सरकार तिल तिल कर मरने को मजबूर कर रही है।सरकारें बदलती हैं पर अधिकारी तो वही रहते हैं, न्यायालय द्वारा उन अधिकारियो को सजा क्यों नहीं दी जा रही जिनकी गलत नियमावली ने शिक्षामित्रों को बर्बाद कर दिया है।न्यायालय विभिन्न मुद्दों को स्वतः संज्ञान में लेती है किंतु लगभग सात सौ शिक्षामित्रों की अकाल मृत्यु हो जाने के बाद भी न्यायालय मौन क्यों है?
लोकतंत्र में जनता सर्वोपरि होती है फिर भी इन शिक्षामित्रों से इस तरह द्वेषपूर्ण व्यवहार निश्चित ही सरकार की राजनीतिक द्वेष एवं तानाशाही रवैये को प्रदर्शित कर रहा है।किंतु ये स्थिति आनेवाले लोकसभा चुनाव में भाजपा के लिए मुश्किल खड़ी कर सकती है।यदि समय रहते सरकार ने राजधर्म का पालन करते हुए इस समस्या का स्थाई समाधान न निकाला तो निश्चित ही उत्तर प्रदेश के ये निरीह, उपेक्षित, न्यायालय द्वारा अयोग्य घोषित शिक्षामित्र भाजपा सरकार को रसातल पहुँचाने का काम करेंगे क्योंकि दिल्ली की गद्दी का रास्ता उत्तर प्रदेश से ही होकर जाता है।
– अंतिम विकल्प न्यूज के लिए जटाशंकर प्रजापति