योगेश्वर प्रभाकर जी महाराज ने श्रीमद् भागवत कथा में लोगों को बतलाया जीवन जीने का सलीका

बिहार- समस्तीपुर जिला अन्तर्गत दलसिंहसराय प्रखंड के पगड़ा मां काली के प्रांगण में कल श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिन जीवन जीने के सलीके बताए। उन्होंने कहा कि –
*जीने की राह*

जीवन को दो ही तरीके से जिया जा सकता है, तपस्या बनाकर या तमाशा बनाकर। तपस्या का अर्थ जंगल में जाकर आँखे बंद करके बैठ जाना नहीं अपितु अपने दैनिक जीवन में आने वाली समस्याओं को मुस्कुराकर सहने को क्षमता को विकसित कर लेना है।
हिमालय पर जाकर देह को ठंडा करना तपस्या नहीं अपितु हिमालय सी शीतलता दिमाग में रखना जरुर है। किसी के क्रोधपूर्ण वचनों को मुस्कुराकर सह लेना जिसे आ गया, सच समझ लेना उसका जीवन तपस्या ही बन जाता हैं।
छोटी-छोटी बातों पर जो क्रोध करता है निश्चित ही उसका जीवन एक तमाशा सा बनकर ही रह जाता है। हर समय दिमाग गरम रखकर रहना यह जीवन को तमाशा बनाना है और दिमाग ठंडा रखना ही जीवन को तपस्या सा बनाना है।
*समस्या और संघर्ष*
मानव जीवन में ना तो समस्याएं कभी खत्म हो सकती हैं और ना ही संघर्ष। समस्या में ही समाधान छिपा होता है। समस्या से भागना उसका सामना ना करना यह सबसे बड़ी समस्या है। छोटी- छोटी परेशानियां ही एक दिन बड़ी बन जाती हैं।
कुछ लोग सुबह से शाम तक परेशानियों का रोना ही रोते रहते हैं साथ ही ईश्वर को भी कोसते रहते हैं। जितना समय वो रोने में लगाते हैं उतना समय यदि विचार करके कर्म करने में लगा दें तो समस्या ही हल हो जायेगी।
ईश्वर ने हमें बहुत शक्तियाँ दी हैं, बस उनका प्रयोग करने की जरुरत है। सोई हुई शक्तियों को कोई जगाने वाला चाहिए। कृष्ण आकर अर्जुन को ना समझाते तो वह कभी भी ना जीत पाता। सब कुछ उसके पास था पर वह समस्या से भाग रहा था तुम्हारी तरह।
कथा सुनने आए श्रोता में वीरेंद्र सिंह जी पारसनाथ सिंह रामसनेही सिंह, संजीव कुमार सिंह, मनोहर सिंह, पुजारी हरि झा, छोटू, चुलबुल, सत्संग भारद्वाज, अमन पराशर, उपेंद्र कुशवाहा, राम प्रसाद महतो, मुकेश सिंह, सतीश सिंह, मधुसूदन सिंह, आदि सैकड़ों पगरा ग्राम उपस्थित थे।
– आशुतोष कुमार सिंह, ब्यूरो चीफ, समस्तीपुर

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