लखनऊ – उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद यानी यूपी बोर्ड की परीक्षा के कार्यक्रम में बदलाव किया गया है। इससे इंटर में गणित की परीक्षा देने वाले प्रदेश के छात्र-छात्राओं को राहत मिली है।
प्रदेश के डिप्टी सीएम तथा माध्यमिक व उच्च शिक्षा मंत्री डॉ दिनेश शर्मा ने बताया कि 21 फरवरी को होने वाला इंटर मैथ्स का पेपर अब 25 फरवरी को होगा। वहीं 25 फरवरी को होने वाले नागरिक शास्त्र के पेपर को अब 4 दिन पहले 21 फरवरी को कराया जाएगा। माध्यमिक शिक्षा विभाग ने यूपी बोर्ड 2019 के टाइम टेबल में बदलाव किया है। अब इंटर के छात्रों को दो दिन में दो या तीन परीक्षाएं नहीं देनी पड़ेंगी। माध्यमिक शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक में डिप्टी सीएम डॉक्टर दिनेश शर्मा बोर्ड परीक्षाओं के बदले टाइम टेबल के बारे में जानकारी दी। अब 21 फरवरी को होने वाली मैथ्स की परीक्षा 25 फरवरी को होगी।
इससे पहले जो टाइमटेबल बना था, उसमें इन छात्र-छात्राओं को दो दिन में तीन पेपर देना था। 17 सितंबर को डिप्टी सीएम डॉक्टर दिनेश शर्मा ने खुद यूपी बोर्ड परीक्षाओं का टाइम टेबल जारी किया था। इसके अनुसार इंटर के छात्रों को 21 फरवरी को सुबह की शिफ्ट में कम्प्यूटर, दोपहर की शिफ्ट में मैथ्स और 22 फरवरी को दोपहर की शिफ्ट में फिजिक्स का पेपर देना पड़ रहा था। सबसे अधिक समस्या मैथ्स और फिजिक्स के पेपर में गैप न होने की वजह से थी।
डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा ने बताया कि 21 फरवरी को होने वाला इंटर मैथ्स का पेपर अब 25 फरवरी को होगा। वहीं 25 फरवरी को होने वाले नागरिक शास्त्र के पेपर को अब चार दिन पहले 21 फरवरी को कराया जाएगा। इसी तरह गृह विज्ञान का जो पेपर 14 फरवरी को सुबह होना था, वह अब इसी तिथि पर शाम को होगा। 14 फरवरी को ही शाम को होने वाला एकाउंटेंसी का पेपर अब 14 फरवरी को ही सुबह की शिफ्ट में होगा।
यूपी बोर्ड परीक्षाओं के टाइम टेबल में हुए यह अहम बदलाव
– 21 फरवरी को दोपहर 2 बजे से होने वाली मैथ्स की परीक्षा अब 25 फरवरी को होगी।
– 25 फरवरी को होने वाली नागरिक शास्त्र की परीक्षा अब 21 फरवरी को होगी।
– 14 फरवरी को सुबह 8 बजे से होने वाली गृह विज्ञान की परीक्षा अब दोपहर 2 बजे से होगी।
– 14 फरवरी को दोपहर 2 बजे से होने वाली एकाउंटेंसी की परीक्षा अब सुबह 8 बजे से होगी।
जल्द ही जारी होगा नया टाइम टेबल
डॉ. दिनेश शर्मा ने बताया कि जल्द ही नया टाइम टेबल जारी किया जाएगा। उन्होंने कहा कि समीक्षा बैठक में सामने आया कि पिछले वर्षों में जिन जिलों से नकल की अधिक शिकायतें आती थी अब सख्ती के बाद उन जिलों में पंजीकरण कम हुए हैं। ऐसे करीब डेढ़ दर्जन जिले हैं जिनकी अलग से समीक्षा भी होगी। सरकारी विद्यालयों में इस बार 18 फीसदी पंजीकरण बढ़ा है।