बरेली। महात्मा ज्योतिबा फुले रुहेलखंड विश्वविद्यालय में मूल्यांकन को लेकर प्रोफेसर बहाने बना रहे है और ड्यूटी पर नहीं पहुंच रहे। इससे विश्वविद्यालय का मूल्यांकन कार्य रफ्तार नहीं पकड़ पा रहा है। बरेली के प्रोफेसर कोरोना के नाम पर बहाने बना रहे हैं। कुछ संक्रमण फैलने का अंदेशा जता रहे है तो कुछ दूसरे जिलों के प्रोफेसरों के साथ काम करने का विरोध कर रहे है। यूनिवर्सिटी में मूल्यांकन के लिए शिक्षकों की कमी है। इसलिए यूनिवर्सिटी प्रशासन ने गोरखपुर, मुरादाबाद, बिजनौर से शिक्षकों को बुलाने के लिए पत्र भेज चुका है। विरोध से परेशान कुलपति प्रोफेसर अनिल कुमार शुक्ला ने मूल्यांकन कार्य कई दिनों तक रोक दिया है।
ठहरने की व्यवस्था के नाम पर आनाकानी
जानकारों की माने तो शिक्षकों का एक बहाना यह भी है कि मूल्यांकन के लिए प्रोफेसरों के ठहरने की व्यवस्था विश्वविद्यालय में ठीक नहीं है उनके खाने की व्यवस्था की जाए तभी शिक्षक मूल्यांकन कार्य को ड्यूटी पर आएंगे।
प्रदर्शन की तैयारी में है कई प्रोफेसर
बता दे कि मूल्यांकन कार्य के विरोध मे बरेली के शिक्षक लगातार विरोध कर रहे है। यही कारण है कि बरेली कॉलेज समेत कई कालेजों के शिक्षक मूल्यांकन कार्य को नहीं आ रहे सूत्रों की मानें तो यदि दूसरे जिलों के प्रोफेसर मूल्यांकन कार्य के लिए आते हैं तो यहां के लोगों को विरोध करने का मौका मिल जाएगा। इसलिए विश्वविद्यालय प्रशासन दूसरे विश्वविद्यालय से प्रोफेसरों के बुलाने की इजाजत नहीं दे रहा है।
लंबे समय तक फंसेगा रिजल्ट
शिक्षकों के बहाने बाजी का खामियाजा रुहेलखंड से जुड़े छात्र-छात्राओं को भुगतना पड़ेगा क्योंकि जितनी देर से मूल्यांकन पूर्ण होगा उतनी ही देर से रिजल्ट जारी करने में लगेगा। ऐसे में शिक्षकों के विरोध के चलते रिजल्ट में देरी होना तय माना जा रहा है।
दूसरों जिलों के प्रोफेसरों को बुलाने के लिए पत्र भेजा गया है लेकिन यहां उनके ठहरने की व्यवस्था नहीं हो पा रही है। इससे शिक्षक यहां आने से इनकार कर रहे है। दूसरे जिलों से कुछ प्रोफेसर आने को तैयार भी हैं तो बरेली के शिक्षक उनके साथ काम करने को तैयार नहीं है। उनका कहना है कि यदि किसी को भी संक्रमण हुआ तो सभी लोगों को कोरोना हो जाएगा।
-प्रोफेसर पीवी सिंह इंचार्ज मूल्यांकन केंद्र रुहेलखंड विश्वविद्यालय
बरेली से कपिल यादव