आप मुझे माफ करें l मैं आपका ही हमदर्द हूं सा,पत्रकारिता पेशे से जुड़े होने पर हर दिन कुछ पुराने तो कुछ नए लोगों से मुलाकात होती रहती है l कुछ से हर दिन तो कुछ तीन-चार दिन तो कुछ से सप्ताह, कई महीनों वर्षों बाद मुलाकात होती हैl लगभग बीस वर्ष से अधिक समय से इस पेशे से जुड़े होने पर बाड़मेर जिले के कई नगर, कस्बे, गांव ढाणियों तक पहुंचना हुआl ईश्वर कृपा वह आपके आशीर्वाद से यह यात्रा निरंतर जारी हैl जितना भी संभव होता है, इस पत्रकारिता के माध्यम से आपकी सेवा करने की हर संभव कोशिश करता हूं l आपके खुश चेहरों को देखकर ही, ईश्वर कसम मुझे सच्ची खुशी होती है l लेकिन उस वक्त सबसे अधिक दुख होता है, जब आप कहीं भी मुझे बड़े ही आत्मीयता वह प्रेम से मिलते हैं और मैं आपको पूरी तरह से पहचान नहीं पाता हूंl आप बार-बार खुद का नाम बताने को मुझसे कहते हैं और मैं अपने छोटे से दिमाग पर जोर डालते हुए आपके गांव, समाज, आप जिस कार्य से जुड़े उस कार्य से, जाति धर्म संप्रदाय आदि आदि से आप को जोड़ते हुए आपका नाम आपकी पहचान बताने की कोशिश करता हूंl इसमें कई बार सफल होता हूं तो बहुत सी बार शर्मिंदगी झेलनी पड़ती हैl आखिर थक हार कर आप ही अपना नाम वह गांव बताते हैंl जिस स्थान समारोह में आपसे जो मुलाकात हुई थी उसका जिक्र करते हैंl इससे बहुत खुशी होती हैl लेकिन आपको नहीं पहचान पाने का बहुत अधिक दुख होता है l एक क्षण के लिए आप सोचते हैं कि मैं सिर्फ बड़े-बड़े लोगों को ही जानता हूं, यह सच है l इससे इनकार नहीं करता, लेकिन सच यह भी है कि वह भी मुझे नहीं जानते l
मैं आपसे भी छोटा हूं, मुझे इसका एहसास पूरा है l कोशिश यही रहती है कि और छोटा बनू l इस पर मैं आपसे प्रार्थना करता हूं कहीं किसी मुलाकात के दौरान मैं अगर आपको नहीं पहचान पाता हूंl तब आप मुझे माफ करेंl मुझे पहली हुई मुलाकात के बारे में बताएं, इससे की हमारे रिश्ते और अच्छे और मजबूत होl मैं भी यही कोशिश करता हूं जब कोई मुझे भूल जाता है l आपको नहीं पहचान पाना मेरी कोई महानता नहीं है, मेरी अज्ञानता ही हैl इस पर आप दिल बड़ा रखते हुए मुझे माफ करें l आप को पहचानने को लेकर मैं और बेहतर प्रयास करूंगा, ईश्वर इस कार्य में मेरी मदद करावे l लेकिन आप से भी विनती है कि आप मुझे कभी भूले नहींl