*चैपर्सन की आँखों से उपेक्षा को लेकर छलके आंसू *बोली में शहर की चेयरमैंन और भाजपा में शामिल हूँ लेकिन बावजूद इसके मुझे मुख्यमन्त्री की बैठक में नही किया गया शामिल।
मुजफ्फरनगर – जनपद में तमाम व्यवस्थाओं और स्वास्थ्य संबंधित मामलों को देखते हुए आज सुबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का दौरा हुआ जिसमें एक अजीब नजारा उस वक्त देखने को मिला जब शहर की प्रथम महिला नागरिक चेयरमैन अंजू अग्रवाल अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा का शिकार हो गई, यहां पालिकाध्यक्ष अंजू अग्रवाल की आंखों से उस वक्त आंसू छलक गए जब उन्हें मुख्यमंत्री की बैठक में शामिल होने से ही रोक दिया चेयरमैन अंजू अग्रवाल की माने तो वे नगर की प्रथम महिला नागरिक है और जिले के आलाधिकारियों सहित जनप्रतिनिधियों ने उन्हें मुख्यमन्त्री से मिलने तक से ही रोक दिया जबकि वे कोरोना महामारी में लगातार नगर में साफ सफाई एंव जनता की सेवा में जी जान से लगी हुई है उन्होंने कहा की में हिम्मत हारने वाली नही हूँ और लगातार जनता के बीच रहकर उनकी सेवा करती रहूंगी।
दरअसल पूरा मामला जनपद मु0 नगर के जिला कलेक्ट्रेट का है जहां आज सूबे के मुख्यमन्त्री के आगमन को लेकर जहां एक तरफ तमाम जनप्रतिनिधि मुख्यमन्त्री से मिलने पहुंचे तो वहीं नगर की प्रथम महिला नागरिक चेयरमैन अंजू अग्रवाल भी अपने द्वारा कराए गए शहर भर के विकास कार्यों एंव अन्य मामलों का लेखा जोखा लेकर मुख्यमन्त्री के दरबार में चल रही बैठक में शामिल होने पहुंची तो उन्हें उस वक्त जनप्रतिनिधियों और जिले के पुलिस एंव प्रशासनिक अधिकारीयों की उपेक्षा का शिकार होना पड़ा जब उन्हें मुख्यमन्त्री की मीटिंग में शामिल होने से रोकते हुए यह कहकर जाने नही दिया गया की आपका तो नाम ही उस लिस्ट में नही है जिसमे सभी जनप्रतिनिधि मुख्यमन्त्री की बैठक में शामिल होंगे।
जब यह बात नगर पालिकाध्यक्ष अंजू अग्रवाल ने सुनी तो उनसे रहा नही गया और उपेक्षा के चलते उनकी आँखों से आंसू छलक गए यहां रोते हुए चेयरमैन साहिबा ने कहा की में भाजपा में शामिल होने के साथ नगर की प्रथम महिला नागरिक हूँ और नगर पालिकाध्यक्ष होने के बाद भी मुझे मुख्यमन्त्री से उनकी बैठक में शामिल होने से जबरन रोका गया यहीं नही मिडिया के सामने दुखड़ा रोने के बाद सीओ सिटी ने किसी तरह उन्हें जब मुख्यमन्त्री की बैठक में शामिल होने के लिए अंदर दाखिल कराया तो वहां भी जनप्रतिनिधियों और जिले के अधिकारीयों ने उन्हें एक कोने में बैठा दिया और न उनसे कुछ पूछा गया और नही उन्हें कुछ बोलने ही दिया गया।
बैठक से बाहर निकलते ही एक बार फिर उपेक्षा को लेकर चेयरपर्सन के सब्र का बांध टूट गया और उनकी आँखों से आंसू छलकने लगे जिसे न केवल पुलिस प्रशासन, और जनप्रतिनिधियों ने भी अपनी आँखों से देखा लेकिन किसी ने भी उनसे एक बार भी बात तक नही की जिसके चलते उन्होंने फूट-फूटकर अपनी उपेक्षा को लेकर मीडिया के सामने अपना रोष जताया।
इस दौरान उपेक्षा से आहत होकर रोने पर जब मिडिया ने उनसे त्याग पत्र देने की बाबत पूछा तो उन्होंने त्यागपत्र देने से इंकार कर दिया और कहा कि मै पहले की तरह जनसेवा के काम में जुटी रहूंगी।
सोमवार को जनपद के दौरे पर आए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कलेक्ट्रेट में जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों के साथ हुई बैठक में पालिका चेयरपर्सन अंजू अग्रवाल को सुरक्षा में लगे अधिकारियों व पुलिसकर्मियों द्वारा एंट्री नहीं दी गई थी।
चेयरपर्सन ने इसे लेकर कई जनप्रतिनिधियों तक को फोन भी मिलाएं लेकिन किसी ने फोन नहीं उठाया सीएम की बैठक में एंट्री ना मिलने से आहत हुई चेयरपर्सन कलेक्ट्रेट में ही एक तरह से धरना देते हुए कुर्सी पर बैठ गई।
काफी देर के बाद सीओ सिटी कुलदीप कुमार के हस्तक्षेप पर चेयरपर्सन अंजू अग्रवाल को सीएम की बैठक में शामिल होने के लिए अंदर भेजा गया।
लेकिन चेयरपर्सन की उपेक्षा का सिलसिला यहीं पर ही खत्म नहीं हुआ बल्कि बैठक में पहुंचने पर भी चेयरपर्सन को एक कोने में बैठा दिया गया।
बाद में मीडियाकर्मियों के सामने चेयरपर्सन ने अपनी उपेक्षा का रोना रोते हुए कहा कि मैं कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर की वैश्विक महामारी के बीच भी पहली लहर की तरह ही शहरवासियों की जान बचाने के लिए रात दिन अपनी जान को हथेली पर रखकर सड़कों पर रहते हुए काम कर रही हूं और रहूंगी।
उन्होंने कहा की कुछ लोगों को मेरे द्वारा यह काम करने का तरीका हजम नहीं हो रहा है जिसके चलते गाहे-बगाहे मौके और बेमौके वे लोग मेरी उपेक्षा करने की कोशिशें करते रहते हैं।
उन्होंने कहा की मेरी इच्छा मुख्यमंत्री से बातचीत कर कोरोना संक्रमण की स्थिति में लोगों को कुछ राहत दिलाने के लिए सीएम को सलाह देने की थी लेकिन एक तयशुदा रणनीति के तहत मुझे सीएम से मिलने से ही रोका गया।
बैठक में हुई उपेक्षा के बाद मीडिया द्वारा उनसे भाजपा से त्यागपत्र देने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि मैं ऐसी महिला नहीं हूं जोकि थोड़ी सी परेशानी देखकर अपने कर्तव्य से जरा भी अलग हो जाऊं।
मैं लोगों की सेवा करने का काम लगातार जारी रखूंगी मैं किसी के रहमों करम पर पालिका की चेयरमैन नहीं बनी हूं बल्कि मुझे जनता द्वारा चुनकर पालिका चेयरमैन की कुर्सी सौंपी गई है।
मैं भाजपा में रहकर ही जनसेवा के काम को पहले की तरह आगे भी लगातार जारी रखूंगी इस उपेक्षा से मेरा हौसला डिगा नहीं है। बल्कि इसमें पहले से ज्यादा बढ़ोतरी हुई है।
रिपोर्ट भगत सिंह