उत्तर प्रदेश में सभी पत्रकार को बीमा कबर देने की भी हो पहल
उत्तर प्रदेश में देर से ही सही केवल मान्यता प्राप्त पत्रकारों की आंशिक सुध लेने पर मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ जी का यू पी जर्नलिस्ट एसोसिएशन (उपजा ) के अध्यक्ष हेमंत कृष्ण, महामंत्री रमेश चंद जैन ने आभार व्यक्त करते हुए ‘उपजा’ की अन्य मांगों पर भी सहानभूति पूर्वक विचार कर ठोस कदम उठाने की मांग की है।उत्तर प्रदेश सूचना निदेशालय के नव निर्मित भवन पंडित दीनदयाल उपाध्याय सूचना परिसर के उद्घाटन के अवसर पर मुख्यमन्त्री योगी जी ने की घोषणा करते हुए
प्रदेश में मान्यता प्राप्त पत्रकारों के कोविड से आकस्मिक निधन पर 10 लाख रुपए की आर्थिक सहायता देने, मान्यता प्राप्त पत्रकारों को 5 लाख रुपाए का स्वास्थ्य बीमा कवर देने की बात कही थी।
‘उपजा’ का यह कहना है कि यह सुविधा गैर मान्यता प्राप्त पत्रकारों सहित सभी पत्रकारों को उत्तर प्रदेश में मिलनी चाहिए।
यू पी जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन (उपजा) ने पूर्व में ही पत्रकार हित की प्रमुख मांगों पत्रकार पेंशन योजना, चिकित्सा सुविधाओं, पत्रकार सुरक्षा कानून एवम 50 लाख का बीमा सुरक्षा कबर आदि देने को पुनः पत्र भेजकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी से ध्यान देने की मांग करता रहा है। “उपजा” के प्रदेश अध्यक्ष हेमंत कृष्ण, महामंत्री रमेश चंद जैन, कोषाध्यक्ष अरुण जायसवाल ने कहा कि उपजा के प्रदेश उपाध्यक्ष निर्भय सक्सेना के प्रत्यावेदन पर तत्कालीन केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री श्री संतोष कुमार गंगवार ने 22 मई 2017 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर पत्रकार हित में सेवानिर्वत/वरिष्ठ पत्रकारों को पेंशन दिए जाने तथा पत्रकारो की निःशुल्क चिकित्सा व्यवस्था दिये जाने का अनुरोध किया था।
जिसके प्रति उत्तर में माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 10 जुलाई 2017 में श्री संतोष कुमार गंगवार जी को पत्र लिखकर नियमानुसार कार्यवाही करने का आश्वासन भी दिया था।
लेकिन प्रदेश में कुछ अधिकारियों की शिथिलता से अभी तक इस दिशा कोई कार्यवाही सम्भव नही हो सकी है।
“उपजा” की ओर से माननीय राज्यपाल महोदय को भी 03 अप्रैल 2019 में रमेश जैन ने भी रजिस्टर्ड पत्र भेजकर ‘पत्रकार सुरक्षा कानून’ बनाने तथा पत्रकारों के विरुद्ध राजपत्रित अधिकारी द्वारा जाँच के उपरान्त जिलाधिकारी की स्वीकृति के बाद ही अभियोग पंजीकृत करने की मांग की गई थी परंतु पत्र अग्रसारित किये जाने तक की सूचना उपजा को नही मिली। जिस कारण लगता है की उपजा का पत्र फ़ाइल में दबा दिया गया है।
अपने पहले पत्र के 2 वर्ष बाद केन्द्रीय श्रम एवं रोजगार राज्यमंत्री स्वतन्त्र प्रभार संतोष कुमार गंगवार जी ने “उपजा” के प्रदेश उपाध्यक्ष निर्भय सक्सेना के अनुरोध पर 19 जुलाई 2019 को मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश को पुनः पत्र लिखकर सेवानिर्वत/ वरिष्ठ पत्रकारों को पेंशन तथा पत्रकारों को निःशुल्क चिकित्सा व्यवस्था, सस्ती दर पर भवन/ भूखंड दिए जाने का भी अनुरोध किया था।
जिस पर पत्र को मुख्यमंत्री जी के विशेष सचिव शुभ्रांत शुक्ला जी ने प्रमुख सचिव सूचना अवनीश अवस्थी जी को अग्रसारित कर दिया। पर अभी तक उस पर भी कोई ठोस परिणाम सामने नही आये। लगता है श्रीमान अवस्थी जी ने उसे ठण्डे बस्ते में डाल दिया है। सरकार को स्मरण कराने में “उपजा पदाधिकारियों एवम परिवार ” का प्रयास (प्रिंट एवं डिजिटल) मीडिया कर्मियों के हित मे सतत जारी रहा है।
स्मरण रहे कि यूनेस्को ने भी कोविड – 19 के चलते अफवाहों, भ्रम आदि से निजात दिलाकर वास्तविक अपडेट से अवगत कराने के कारण पत्रकारो, मीडियाकर्मियो को सबसे महत्वपूर्ण आवश्यक सेवा में शामिल करने के लिए सभी राष्ट्रों को निर्देश दिए थे।
विडम्बना की बात है कि वास्तविकता से रूबरू कराने के बाद भी आवश्यक सेवाओ में शामिल पत्रकारों को छोड़कर अन्य सभी को सरकार की ओर से 50 लाख रुपये का रिस्क कवर बीमा दिया गया है । जबकि
‘पत्रकार बौद्धिक श्रमिक’ है।
सरकार ने तमाम श्रमिको को आर्थिक राहत पैकेज दिया है। लेकिन ‘बौद्धिक श्रमिक पत्रकार’ को इससे वंचित रखा गया है।
भारतीय संविधान की धारा-39 में राज्यो का दयित्व है कि भौतिक संसाधनों का आवंटन इस प्रकार करे कि सभी को लाभ मिले।
आश्चर्य की बात है कि सरकार ने भौतिक संसाधनों के आवंटन में भी भेद भाव करते हुए पत्रकारो को इससे अलग रखा।
‘उपजा’ के प्रदेश कोषाध्यक्ष अरुण जायसवाल, प्रदेश उपाध्यक्षगण, निर्भय सक्सेना, द्विजेन्द्र मोहन शर्मा, पवन नवरत्न ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा भी पत्रकारो, मीडियाकर्मियो को भी
कोरोना योद्धा मान कर उपरोक्त घोषणा पर पुनर्विचार कर 50 लाख रुपये का रिस्क कवर बीमा तथा आर्थिक राहत देने की पहल जाए।
– सुनील चौधरी