बरेली/फतेहगंज पश्चिमी। रबड़ फैक्ट्री के पूर्व श्रमिक संगठन ने मिलकर रबड़ फैक्ट्री गेट पर परिजनों सहित धरना प्रदर्शन किया। अल्केमिस्ट रिकंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी हाईकोर्ट के आदेश पर फैक्ट्री की जमीन पर कब्जा नही देने के लिए धरना प्रदर्शन किया। श्रमिकों का नेतृत्व कर रहे कर्मचारी नेता अशोक मिश्रा ने बताया पिछले 21 सालों से रबड़ फैक्ट्री कर्मचारियों को न्याय नहीं मिल रहा है। न्यायालय के नाम पर 12 जुलाई 2002 में मुंबई उच्च न्यायालय में फैक्ट्री की संपत्ति पर रिसीवर नियुक्त किया। प्रशासन ने कर्मचारियों की वेतन आदि की भुगतानओं की कटी श्रम विभाग की आरसी को क्रियान्वय नहीं किया और रिसीवर को बैठने दिया। यही नहीं डीआरटी बोम्बे ने नया रिसीवर नियुक्त कर एनबी ठक्कर को संपत्ति बेचने का अधिकार दे दिया। जब कर्मचारियों को आस जगी तब उसके द्वारा नीलामी प्रक्रिया को रोकने के लिए अल्केमिस्ट कम्पनी ने बोम्बे उच्च न्यायालय में डीआरडी मुंबई रिसीवर के खिलाफ दायर कर दिया और कोर्ट से संपत्ति को बेचने का अधिकार अपने पक्ष में करा लिया। इस पूरे प्रकरण पर उच्च न्यायालय से वंचित बल लंबित बनाए रखने में अल्केमिस्ट की अहम भूमिका रही। श्रममंत्री भी लगातार प्रदेश के मुख्यमंत्री को कई पत्र लिख चुके हैं पर स्थिति जस की तस है। 19 सितंबर 2019 को मंत्री के प्रयास से लोक भवन लखनऊ में प्रमुख सचिव यूपीएसआरटीसी के साथ अल्केमिस्ट व लिक्विडेटर सहित सभी पक्षों के साथ एक बैठक हुई थी। जिसमें सहमति तो बनी ही लेकिन कोविड-19 के वजह से आगे नहीं बढ़ पाई। सरकार व श्रममंत्री संतोष गंगवार से मिलकर बैठक हुई। मजदूरों की समस्याओं के निस्तारण करने का पत्र लिखा। मंत्री ने आश्वस्त किया है कि वह मजदूरों की पूरी मदद करेंगे। इसी आस में रबड़ फैक्ट्री कर्मचारी लगे हुये है। एसएंडसी कर्मचारी यूनियन का कहना है कि जब तक कर्मचारियों के देय भुगतान शासन प्रशासन द्वारा निश्चित नहीं होता है तब तक हम सभी कर्मचारी अल्केमिस्ट कम्पनी का कब्जा नहीं होने देंगे। इसका लगातार विरोध करेंगे।
बरेली से कपिल यादव