राजस्थान/बाड़मेर- आजकल सब आधुनिक युग की चकाचौंध में रेडीमेड जीवन जीना चाहतें हैं लेकिन हमारे पुरानी सस्कृति के बारे में बड़े बुजुर्गों द्वारा सुख दुःख की बातें सुनकर बच्चे ऐसा महसूस करते हैं जैसे वो सतयुग का जमाना था और आजकल वास्तव में कलयुग आ गया है इसमें कोई दौराय नहीं। कलेक्ट्रेट परिसर में मौजूदा हालात को देखकर विचार व्यक्त किया
अधिवक्ता भजन लाल विश्नोई ने …..
हम सब जिंदगी में हमेशा सम्मानित जीवन जीना चाहते हैं, हम चाहते है की लोग हमारा प्यार से आदर सत्कार करे, हमें मान सम्मान दें। लेकिन जब ऐसा नहीं होता तो हम दुखी हो जाते हैं, यही सोचते हैं, उसमे संस्कार नहीं हैं। मान सम्मान हमेशा माँगा नहीं जाता, इसे जिंदगी में कमाना पड़ता हैं। कोई दिल से मान सम्मान करता हैं, कोई डर से और कोई लोगों में मान सम्मान का दिखावा करता है।
गाँधी जी ने कहाँ था, ‘जो बदलाव आप दुनिया में देखना चाहते हैं, पहले वो बदलाव खुद में लाइए’ अगर आपको सम्मान पाने की चाहत हैं, तो पहले स्वयं का और दूसरों का मान सम्मान करना सीखिए। जो व्यक्ति खुद से प्यार नहीं करता, अपने आप को ठीक से प्रस्तुत नहीं करता, अपनी साफ़ सफाई का ध्यान नहीं रखता, जो खुद अपनी इज्ज़त नहीं करता। आखिर वो कैसे औरो से इज्ज़त ,मान सम्मान और आदर भाव पाने की उम्मीद कैसे कर सकता है।
दूसरी बात, इज्ज़त भी उसी को मिलती है, जो दुसरो को हमेशा मान सम्मान और इज्ज़त देना जानता है। जो अपने साथ साथ दुसरो के व्यक्तित्व और विशेषताओं को समझता है। जो ये जानता हैं की हर इंसान एक दुसरे से अलग ज्ञान रखता है। एक व्यक्ति पूरे जीवन में, अपने काम के लिए सराहा जाना चाहता हैं, सम्मान पाना चाहता है। ये सम्मान उसे इतनी ख़ुशी देता है, जितना कही और से नहीं मिल सकता।
ये मान सम्मान तो घर परिवार में माता पिता, दादा दादीजी और ननिहाल से ही शुरू होता हैं, जहाँ माँ के बनाये खाने की तारीफ बच्चा दिल से करता हैं, माँ का सम्मान करता है, उसके प्यार मोहब्बत के लिए। एक पिता अपने बच्चों की परीक्षा मे अच्छे रिजल्ट पर उसे सम्मानित करता हैं, और रिजल्ट अच्छा न होने पर उसे प्रेरित करता है। मान सम्मान ऐसा होना चाहिए की सामने वालें को कभी बनावटी न लगे, मान सम्मान दिल से और सुधारने के भाव से होना चाहिए।
हमारे बडे बुजुर्गों द्वारा हमेशा हमारे को एक बात सिखाया जाता है कि जो व्यक्ति दुसरो को मान सम्मान देना यानि खुद का सम्मान करना जानता है। मान सम्मान देना, आदर करना ये एक महान गुण है, ऐसा करके सबसे पहले अपने मन को ख़ुशी मिलती है। जैसे एक फूल बेचने वालें के हाथ में महक रह जाती है। ईश्वर की बनाई हर रचना, सराहनीय हैं उसका सम्मान किया जाना चाहिए।
अगर किसी की गलतियों को आप सुधारना चाहते है तो पहले उसके अच्छे काम, उसके कोशिश की तारीफ होनी चाहिए, फिर उसके काम को और कैसे बेहतर बनाया जाए, ये बताया जाए। इस तरह से सामने वाले की भावना को ठेस नहीं लगता, वो सम्मान के साथ अपने काम को अच्छे से मन लगाकर पूरा करता हैं। वो जीवन भर आपका सम्मान करता हैं, क्योंकि आपने उसका सम्मान कर, उसे सबकी नज़रों में बड़ा बनाया। इसलिए, पहले सम्मान देना ज़रूरी है, मान सम्मान पाने के लिए।
– राजस्थान से राजूचारण