राजस्थान/बाड़मेर- मरुस्थलीय थार क्षेत्र जहां पानी की हर बूंद जीवन का आधार है, वहां महात्मा गांधी नरेगा योजना के तहत टांका निर्माण पर रोक लगाना ग्रामीण जनता के लिए घोर अन्याय है। बाड़मेर जैसलमेर-बालोतरा संसदीय क्षेत्र के स्थानीय सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल ने मुख्यालय पर स्थानीय पत्रकारों से रूबरू होकर इस निर्णय को थारवासियों की जीवनरेखा और जल-संरक्षण परंपरा पर सीधा प्रहार बताया है।
सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल ने कहा थार की रेतीली धरती में टांके पानी का प्रमुख स्रोत हैं, जो लाखों लोगों और पशुओं की प्यास बुझाते हैं। 2007 में तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह की दीर्घकालिक सोच ने ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार उपलब्ध कराने के लिए मनरेगा योजना जैसी अतिमहत्वकांशी योजना की शुरूआत की, जो सीमांत क्षेत्र के जिलों के लिए आर्थिक और पानी की किल्लत से निजात दिलाने को कारगार साबित हुई, मनरेगा के तहत टांका निर्माण को मंजूरी मिलने से बाड़मेर सहित पूरे थार क्षेत्र में रोजगार उपलब्धता के साथ जल-संरक्षण और आत्मनिर्भरता की नई शुरुआत हुई थी। इन टांकों ने न केवल पेयजल उपलब्ध कराया, बल्कि ग्रामीणों को अपने खेतों में जल संचयन और सिंचाई के लिए सशक्त बनाया। और मनरेगा के तहत रेतीले धोरो में ग्रेवल सड़कों के निर्माण से ग्रामीण परिवेश में ग्रामीणों को बहुत बड़ी राहत मिली, लेकिन अब सरकार एक साजिश के तहत इस योजना को बंद करना चाहती हैं। सांसद बेनीवाल ने कहा, टांका निर्माण पर रोक का यह तुगलकी फरमान थारवासियों के जीवन पर कुठाराघात है। बिना धरातलीय सर्वेक्षण के, एसी कमरों में बैठकर लिया गया यह निर्णय जमीनी हकीकत से कोसों दूर है। उन्होंने सवाल उठाया कि बिना टांकों के थार का जीवन कैसे संभव होगा।
सांसद बेनीवाल ने जल जीवन मिशन की कमियों को भी उजागर किया। उन्होंने कहा कि हजारों करोड़ रुपये खर्च होने के बावजूद, केवल 10% ग्रामीणों तक ही पेयजल पहुंचा है। अधिकांश गांवों में पाइपलाइनें बिछाई गई चार-पांच बीत गए, लेकिन नलों से पानी की एक बूंद तक नहीं टपकी। ऐसे में टांके ग्रामीणों के लिए एकमात्र भरोसेमंद विकल्प हैं।
“अपना खेत, अपना काम” योजना का उद्देश्य किसानों को जल संचयन और सिंचाई के लिए सक्षम बनाना था। लेकिन टांका निर्माण पर रोक ने इस आत्मनिर्भर पहल को गहरा आघात पहुंचाया है। बेनीवाल ने इसे ग्रामीण अर्थव्यवस्था और जल-संरक्षण संस्कृति के खिलाफ कदम बताया। सरकार से मांग करते हुए सांसद बेनीवाल ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और राज्य सरकार से तत्काल इस जनविरोधी निर्णय को वापस लेने की मांग की है। उन्होंने कहा, टांका थार की आत्मा है। इसे रोकना मरुस्थल के जीवन को रोकने जैसा है। सरकार को ग्रामीणों की भावनाओं का सम्मान करते हुए टांका निर्माण की सुविधा बहाल करनी चाहिए।
सांसद बेनीवाल ने टांका निर्माण पर रोक न केवल थारवासियों की आजीविका पर प्रहार है, बल्कि यह राजस्थान की सदियों पुरानी जल-संरक्षण परंपरा को भी कमजोर करता है। सरकार इस निर्णय पर पुनर्विचार करे और थार की जीवनरेखा को फिर से सशक्त बनाए। थार की रेत में जीवन की राह तलाशने की परंपरा को बचाने के लिए टांका निर्माण को पुनः शुरू करना अति आवश्यक और बहुत महत्वकांशी भी है।
– राजस्थान से राजूचारण
