मन की बात: 50वें संस्करण में पीएम ने कहा, मोदी आएगा और चला जाएगा, लेकिन यह देश अटल रहेगा

कटिहार/बिहार- आज मन की बात का गोल्डन जुबली है क्योंकि आज पीएम मोदी ने 50वीं देश से बात की। उन्होंने कहा की, आपकी ये जिज्ञासा बहुत स्वाभाविक है कि आज के युग में, जबकि करीब रेडियो भुला दिया गया था उस समय मोदी रेडियो लेकर के क्यों आया? इस सम्बन्ध में एक किस्सा बताया। पीएम ने कहा, ये 1998 की बात है, जब मैं भारतीय जनता पार्टी के संगठन के कार्यकर्ता के रूप में हिमाचल में काम करता था। मई का महीना था और मैं शाम के समय यात्रा करते हुए किसी और स्थान पर जा रहा था। हिमाचल की पहाड़ियों में शाम को ठंड तो हो ही जाती है, तो रास्ते में एक ढाबे पर चाय के लिये रुका और जब मैं चाय के लिए ऑर्डर किया, वो बहुत छोटा सा ढाबा था और वहा एक ही व्यक्ति खुद चाय बनाता और बेचता था। उस व्यक्ति के पास ऊपर कपड़ा भी नहीं था ऐसे ही रोड के किनारे पर छोटा सा ठेला लगा के खड़ा था तो उसने अपने पास एक शीशे का बर्तन था, उसमें से लड्डू निकाला, पहले बोला– साहब, चाय बाद में, लड्डू खाइए । मुंह मीठा कीजिये मैं भी हैरान हो गया तो मैंने पूछा क्या बात है कोई घर में कोई शादी-वादी कोई प्रसंग-वसंग है क्या! उसने कहा नहीं-नहीं भाईसाहब, आपको मालूम नहीं क्या? अरे बहुत बड़ी खुशी की बात है वो ऐसा उछल रहा था, ऐसा उमंग से भरा हुआ था, तो मैंने कहा क्या हुआ! उन्होंने बताया आज भारत ने बम फोड़ दिया है। मैंने कहा भारत ने बम फोड़ दिया है! मैं कुछ समझा नहीं! तो उसने कहा- देखिये साहब, रेडियो सुनिये तो रेडियो पर उसी की चर्चा चल रही थी ।उसने कहा उस समय हमारे प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने वो परमाणु परीक्षण का दिन था और मीडिया के सामने आकर के घोषणा की थी और इसने ये घोषणा रेडियो पर सुनी थी और नाच रहा था। मुझे बड़ा ही आश्चर्य हुआ कि इस जंगल के सुनसान इलाके में, बर्फीली पहाड़ियों के बीच, एक सामान्य इंसान जो चाय का ठेला लेकर के अपना काम कर रहा है और दिन-भर रेडियो सुनता रहता होगा और उस रेडियो की खबर का उसके मन पर इतना असर था, इतना प्रभाव था और तब से मेरे मन में एक बात घर कर गयी थी कि रेडियो जन-जन से जुड़ा हुआ है और रेडियो की बहुत बड़ी ताकत है। 3 अक्तूबर 2014 को पहली मन की बात की थी और आज हम इसकी गोल्डन जुबली मना रहे हैं। मई 2014 में जब मैंने एक ‘प्रधान-सेवक’ के रूप में कार्यभार संभाला तो मेरे मन में इच्छा थी कि देश की एकता, भव्य इतिहास, उसका शौर्य, भारत की विविधताएँ हमारे समाज के रग-रग में समायी हुई अच्छाइयाँ, पुरुषार्थ, जज़्बा, त्याग, तपस्या इन सारी बातों को जन-जन तक पहुँचाना चाहिये।
आज के मन की बात में बहुत सारे टेलिफोन के कॉलर के कॉल का जबाब भी दिए।
एक श्रोता के प्रश्न के जबाब में मोदी ने कहा, ‘मन की बात’ सरकारी बात नहीं है, यह समाज की बात है। भारत का मूल-प्राण राजनीति नहीं है, भारत का मूल-प्राण राजशक्ति भी नहीं है। भारत का मूल-प्राण समाजनीति है और समाज-शक्ति है।
उन्होंने कहा की जब ‘मन की बात’ शुरू किया था तभी मैंने निश्चय किया था कि न इसमें राजनीति हो, न इसमें सरकार की वाह-वाही हो, न इसमें कहीं मोदी हो और मेरे इस संकल्प को निभाने के लिये सबसे बड़ा संबल, सबसे बड़ी प्रेरणा मिली आप सबसे। मोदी आएगा और चला जाएगा, लेकिन यह देश अटल रहेगा, हमारी संस्कृति अमर रहेगी।

संविधान सभा के बारे में बात करते हुए उस महापुरुष का योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता जो संविधान सभा के केंद्र में रहे | ये महापुरुष थे पूजनीय डॉ. बाबा साहेब अम्बेडकर.6 दिसम्बर को उनका महा-परिनिर्वाण दिवस है। मैं सभी देशवासियों की ओर से बाबा साहब को नमन् करता हूँ | संविधान सभा देश की महान प्रतिभाओं का संगम थी, उनमें से हर कोई अपने देश को एक ऐसा संविधान देने के लिए प्रतिबद्ध था जिससे भारत के लोग सशक्त हों, ग़रीब से ग़रीब व्यक्ति भी समर्थ बने | हमारे संविधान में खास बात यही है कि इसमें अधिकार और कर्तव्य के बारे में विस्तार से वर्णन किया गया है | कल ‘संविधान दिवस’ है, यह उन महान विभूतियों को याद करने का दिन है जिन्होंने हमारा संविधान बनाया | संविधान ड्राफ्ट करने के इस ऐतिहासिक कार्य को पूरा करने में संविधान सभा को 2 वर्ष, 11 महीने और 17 दिन लगे | 26 नवम्बर, 1949 को हमारे संविधान को अपनाया गया था | देशवासियों को संविधान दिवस’ की शुभकामनाये दिए |

रिपोर्ट्: अजय कुमार प्रसाद, कटिहार

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