मध्यम वर्गीय समाज एवं व्यापारियों को कर बोझ से दे राहत

बरेली। गुरुवार को व्यापारियों ने डीएम शिवाकांत द्विवेदी को ज्ञापन सौंपा। जिसमे व्यापारियों ने बताया कि जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) काउंसिल द्वारा 12 फीसदी की दर से जीएसटी लेने का निर्णय लिया गया है। जिससे कमजोर और मध्यमवर्गीय तथा नौकरी पेशा लोगों पर अतिरिक्त बोझ बढ़ेगा। इसे कर मुक्त रखा जाए। जीएसटी मे विक्रेता की गलती का खामियाजा क्रेता व्यापारी को कर का भुगतान करने के बाद भी उठाना पड़ता है और रिवर्स चार्ज द्वारा भुगतान करना पड़ता है। जीएसटी काउंसिल अभी तक जीएसटी विवादों के निपटारे के लिए ट्रिब्यूनल की स्थापना नही की गई। जिस कारण से व्यापारियों को अपने विवाद के निपटारे के लिए उच्च न्यायालय की शरण लेनी पड़ती है। इससे अनावश्यक व्यय एवं समय लगता है। देश मे शीघ्र ही ट्रिब्यूनल बैंचो की स्थापना की जाए। गेहूं, आटा, दाल, चावल, मुरमुरे दूध, दही, छाछ एवं गुड़ जैसी आवश्यक वस्तुओं पर जीएसटी ना लगाया जाए। 28-29 जून की 47वी जीएसटी काउंसिल की मीटिंग मे भारत सरकार को आवश्यक वस्तुओं पर पैकेजिंग एवं लेबलिंग के नाम पर लगाए जाने वाले कर की अनुशंसा को निरस्त कराएं तथा पहले से ही आप के खजाने को मालामाल कर रहे मध्यम वर्गीय समाज एवं व्यापारियों को कर बोझ से राहत दे।।

बरेली से कपिल यादव

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