*सरपंच की मनमानी के चलते सभी विकास कार्यों में मजदूरों की जगह चली जेसीबी मशीन और ट्रैक्टर ट्राली और अब होगा फर्जी भुगतान
*मामला दमोह जिले के तेन्दूखेड़ा जनपद पंचायत के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत बैलढाना हरदुआ का मामला
मध्यप्रदेश/तेन्दूखेड़ा- कोरोना संक्रमण के चलते अपना कामकाज छोड़कर घर लौटे प्रवासी मजदूरों को काम दिए जाने की मंशा से इस बार महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना(मनरेगा)के तहत प्राथमिकता से कार्य कराए जाने के निर्देश दिए थे लेकिन शासन की इस मंशा पर कुछ सरपंच सचिव पानी फेर चुके हैं स्थिति यह है कि मनरेगा के तहत मजदूरों से कार्य कराया जाना चाहिए था लेकिन ऐसा न कर मशीनों से काम कराया गया है ऐसा ही मामला तेन्दूखेड़ा जनपद पंचायत के ग्राम पंचायत बैलढाना हरदुआ का सामने आया है जहां पर सरपंच ने अपनी मनमानी के चलते लॉकडाउन के समय लौटे मजदूरों को रोजगार देने के लिए जो काम सरकार द्वारा दिए गए थे उनको सरपंच द्वारा अपनी दंबगाइया के चलते खुद के द्वारा खरीदी गई जेसीबी मशीन और ट्रैक्टर ट्राली द्वारा कराया गया है जिसमें ग्राम हरदुआ में स्कूल के पास बना तालाब का जीर्ण उद्धार में सरपंच सचिव ने दिन और रात में जेसीबी मशीन लगाकर कराया गया है इसी तरह स्कूल के पास बनी 12 लाख रुपए की सुदूर सड़क में भी जेसीबी मशीन का उपयोग किया गया है जिसमें सरपंच द्वारा लाखों रुपए मजदूरों के नाम फर्जी तरीके से मस्टर भरकर मशीनों की जगह मजदूरों को दर्शाया गया है लेकिन इस और किसी भी अधिकारी द्वारा ध्यान देना जरुरी नहीं समझा गया क्योंकि अधिकारियों का भी पहले से फिक्स कमीशन होता है इसलिए इस और ध्यान नहीं देते हैं और सरपंच सचिव अपने बुलंद हौसले के चलते इन कार्यों को अंजाम देते आ रहे हैं वहीं जानकारी के मुताबिक ग्राम पंचायत बैलढाना हरदुआ में जो सुदूर सड़क का निर्माण कार्य कराया गया है इसमें गांव की ही खदानों से मिट्टी मुरम से यह निर्माण कार्य कराया गया है जिसमें अब सरपंच सचिव फर्जी बिलों को लगाकर लाखों रुपए अपनी जेबों में भरेंगे वहीं इन सभी निर्माण कार्य की काम करते समय की कुछ फोटो जेसीबी मशीन के सहित मीडिया तक पहले ही आ चुकी थी जिसकी जानकारी अधिकारी को भी पहले से थी
मजदूरों के नाम मस्टररोल मशीनों से काम
लॉकडाउन के दौरान महानगरों से लौटे प्रवासी मजदूरों को काम दिलाने के लिए सरकार द्वारा मनरेगा के तहत जॉब कार्ड बनाकर गांव गांव में काम दिए लेकिन ग्राम पंचायत स्तर पर पदाधिकारियों की मिलीभगत के चलते मजदूरों के हक पर डाका डाला गया है जिले भर में 16 हजार से ज्यादा प्रवासी मजदूरों के नाम पर काम दिया गया ग्राम पंचायत पदाधिकारियों ने मिलीभगत करके मजदूरों के मस्टररोल डालकर मजदूरी की राशि हड़प ली और मशीनों से काम कराकर मजदूरों को बेरोजगारी के अंधेरे में रखा मामले में देखा गया प्रशासन ने इस और ध्यान नहीं दिया एक दो कार्रवाइयां करके देखावे की महज खानापूर्ति की गई है
सरपंच ने एक साल पहले भी कराया था मशीनों से काम
जहां ग्राम पंचायत बैलढाना हरदुआ में लॉकडाउन के समय सभी कामों को मशीनों से कराया गया है वही इसी तरह एक साल पहले भी सरपंच द्वारा मनरेगा का काम मजदूरों के स्थान पर जेसीबी और पोकलेन मशीनों से दिन दहाड़े कराया था साल 2019 में हरदुआ ग्राम में लगभग 6 लाख 49 हजार रुपए का निर्मलनील कूप दिन में ही पोकलेन मशीनों से खोद दिया गया था इसके बाद लगभग 15 फीट नीचे दिन में ही नियम विरुद्ध बारुद लगाकर ब्लास्ट कर पत्थर तोड़े गए थे निर्मलनीर कूप की खुदाई में फर्जी मस्टर भरकर राशि निकाली गई वहीं दूसरी ओर ग्राम पंचायत भवन निर्माण कार्य में भी गुणवत्ताहीन घटिया किस्म की सामग्री का उपयोग किया जा रहा है लेकिन अधिकारी जानकर भी अनजान बने हुए बैठे हैं
अधिकारी की भूमिका आ रही नजर
दमोह जिले की जनपद पंचायत तेन्दूखेड़ा की इन ग्राम पंचायतों में प्रवासी मजदूरों को गांव में ही रोजगार देने के नाम पर फर्जीवाड़ा अनवरत रुप से जारी है अनिकांश ग्राम पंचायतों में भी मजदूरों को कागजों में ही रोजगार दिया गया है लेकिन धरातल में सिर्फ मशीनों का उपयोग किया जाता रहा है लेकिन तेन्दूखेड़ा जनपद पंचायत में बड़े पैमाने पर जमकर भ्रष्टाचार का खुला खेल खेला गया है जिसमें जिम्मेदार अफसर अपने आफिसों में बैठकर मनरेगा की मॉनिटरिंग करते रहे या यू कहें की उन्हें के संरक्षण में यह फर्जीवाड़ा पनप रहा है
अब रोजाना कर रहे पलायन
काम न मिलने से एक बार फिर प्रवासियों ने पलायन के लिए कमर कस ली है जिले में रोजाना बड़ी संख्या में मजदूर महानगरों की ओर जा रहे हैं जिले की काम न मिलने और महानगरों में मजदूरों की कमी को पलायन का करण माना जा सकता है मजदूरों का कहना है कि गांव में तो काम मिल नहीं रहा और मिलता है तो उससे परिवार का भरण पोषण नहीं कर सकते सप्ताह में दो तीन दिन ही काम मिलता है बाकी समय खाली हाथ बैठना पड़ता है मजदूरों का कहना है कि महानगरों में गांव से दोगुना मेहनताना मिलता है।
– विशाल रजक तेन्दूखेड़ा