मक्के की फसल का समर्थन मूल्य न मिलने पर टूटी किसानों की कमर

पूर्णिया/बिहार – किसान को मक्के का समर्थन मूल्य नही मिलने से किसान की कमर ही टूट गई हैं। मक्के की खेती में लगाये गए पूंजी और मेहनत की कीमत भी निकलना किसान को मुश्किल हो रही हैं। पुर्णिया जिले में 80% लोग किसानी करते है और मक्का किसान की मुख्य फसल होती हैं। दाम की गिरावट से इस बार मक्के के किसान परेशान है। सरकार से गुहार भी लगा रहें हैं पर सुने तब तो ।
रोज तीन हजार ट्रैक्टरों पर लदकर मक्का गुलाबबाग मंडी पहुंच रहा है, लेकिन इसके खरीदार नहीं मिल रहे हैं। मांग कम होने की वजह से मक्के की कीमत में पिछले 10 वर्षो के दौरान सबसे बड़ी गिरावट आई है। इस साल मक्के का अधिकतम मूल्य 1050 और न्यूनतम एक हजार रुपये प्रति कुंटल है।
अगर गांव की बात की जाय तो वहाँ पे महाजन 900 रुपये प्रति कुंटल ही मक्का का दाम दे रहे हैं। इस परिस्थिति में किसान बेहाल और परेशान है। अगर स्थिति इस प्रकार से बनी रही तो लगता है कि लोग किसानी बंद कर कुछ दूसरे रोजगार में जुट जाएंगे। नेता हो या मंत्री सरकार हो या बिपक्ष सभी किसानों के नाम पर वोट लेकर सत्ता का सुख भोगते है पर जब बात आती हैं किसान की मदद करने की तो सब नदारद मिलते है। “सबका साथ सबका विकास “का जुमला सिर्फ चुनाव के समय ही सुनाई देता है । नेता जी खूब माइक में चिल्ला चिल्ला कर भाषण देते रहते हैं। पर अभी तक ये तय नही हो पाया कि किसका साथ और किसका विकास हो रहा है गुलाबबाग मंडी में हर साल 30 हजार टन मक्के का कारोबार होता है। इसके अलावा इतना ही कारोबार पूर्णिया, रानीपतरा, सरसी और जलालगढ़ रैक प्वाइंट से होता है। कुल मिलाकर लगभग डेढ़ लाख टन मक्के का कारोबार पूर्णिया से होता है।

-पूर्णिया से शिव शंकर सिंह की रिपोर्ट

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