मंत्री पद नही मिलने से राज्य में विधायक हुए डिप्रेसन के शिकार

बाड़मेर /राजस्थान- बाड़मेर जिले के गुड़ामालानी से राज्य के वरिष्ठ विधायक हेमाराम चौधरी द्वारा दिया गए त्यागपत्र का भी जब अपेक्षित परिणाम सामने नही आया तो अब उन्होंने गुड़ामालानी में औधोगिक कम्पनियों के कार्यालय के बाहर धरना दे दिया है । यह धरना कितने दिन तक चलेगा, आखिरकार कहा नही जा सकता है । उधर कांग्रेस आलाकमान ने हेमाराम चौधरी जैसे बुजुर्ग द्वारा किये जा रहे इस स्वांग को गंभीरता से नहीं लिया है । यही कारण है कि चार दिन बाद भी न तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने हस्तक्षेप किया और न ही प्रभारी महासचिव अजय माकन ने । आलाकमान अंसतुष्ट गुट से काफी दूरी पहले से ही बना रखी है ।

उधर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तथा अजय माकन द्वारा असंतुष्टों को अहमियत नही देने से सचिन पायलट खेमे में काफी निराशा का माहौल है । उनकी किसी भी स्तर पर सुनवाई नही होने से इनके अन्दर रोष व्याप्त है । जोश जोश में वेदप्रकाश सोलंकी भी त्यागपत्र की धमकी दे चुके थे । इसी प्रकार पचपदरा विधायक मदन प्रजापत ने भी अपने हाथ पिछे खींच लिए है ।

पायलट समर्थकों को समझ नही आ रहा है कि वे करे भी तो क्या क्या करें । मौजूदा हालात बेहद गंभीर बनें हुए हैं देशभर में कहीं पर कोई सुनवाई नही हो रही है । ना दिल्ली में आलाकमान और न जयपुर में । मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का व्यवहार असतुष्टो के प्रति उपेक्षित है । बेचारे सचिन पायलट की हालत भी सेन्डविच जैसी बनी हुई है । उनके समर्थित विधायक मौजूदा हालात को देखते हुए कभी भी इनके कपड़े फाड़ने की ताक में लगे हुए है ।

ज्ञात हुआ है कि बोखलाए हुए असन्तुष्ट विधायक दिल्ली जाकर अपनी बात रखने को उतावले हो रहे है । इसके विधायको के बीच खुसर-फुसर प्रारम्भ हो गई है । दिल्ली यात्रा का मुख्य मकसद प्रभारी महासचिव अजय माकन के स्थान पर किसी अन्य को प्रभारी बनाने की मांग करना है । साथ ही प्रियंका-गांधी की उपस्थिति में हुए समझौते की शीघ्र क्रियान्विति कराने के लिए आलाकमान से । सूत्रों ने बताया कि कुछ विधायक अपने स्तर पर प्रियंका-गांधी अथवा राहुल-सोनिया गांधी से समय मांग रहे है । इन्होंने सचिन पायलट को फिलहाल इससे दूर रखा है ।

सूत्रों का कहना है कि इनकी मांगो पर ध्यान नही दिया तो ये लोग इस्तीफा देने से भी नही चूकेंगे । सब जानते है कि अशोक गहलोत के होते हुए उनका राजनीतिक भविष्य अंधकारमय है । हो सकता है कि अगले चुनावो में उनकी टिकटें ही काट दी जाए । अशोक गहलोत से लड़ने को सभी आमादा है, लेकिन खुलकर बोलने की हिम्मत नही है । बड़ी नफासत से यह लड़ाई जारी है । सब जानते है कि अशोक गहलोत उनका राजनीतिक भविष्य चौपट कर सकते है । इसलिए सब चुपचाप बिल में घुसने को विवश हो रहें है ।

– राजस्थान से राजू चारण

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