👉 एंबुलेंस चालक ने सूझ-बूझ का दिया परिचय, दूसरे मार्ग से घूम कर पहुंचा गांव..!
👉 असोथर क्षेत्र वासियों के लिए जाम बना नासूर, दिन में कई- कई बार लगता जाम…!
👉 मरका यमुना मोरम घाट संचालक व ओवरलोड वाहनों की मनमानी आवाम के लिए बनी मुसीबत..!
👉 आए दिन होते हैं सड़क हादसे, लाभ की हिस्सेदारी के चक्कर में दायित्व भूल गए जिम्मेदार..!
👉 असोथर पुलिस, खनिज व एआरटीओ समस्या निस्तारण के लिए नहीं है गंभीर, भारी-भरकम वाहनो की आवाजाही बनी मुसीबत..!
✍️ अंशुमान सिंह/विकास त्रिवेदी
यूपी के फतेहपुर जिले के असोथर क्षेत्र वासियों के लिए मरका यमुना घाट से मोरम लाने-जाने वाले भारी-भरकम वाहन इस तरह मुसीबत बन गए हैं कि छोटे-मोटे सड़क हादसे तो मान लो इस क्षेत्र की दिनचर्या में शामिल हो गया है..! सबसे बड़ी बात रामनगर कौहन गांव से असोथर होते हुए थरियाव जाने वाले मार्ग पर भारी-भरकम ओवरलोड मोरम लदे वाहनों की मनमानी इस कदर देखी जा रही है कि अगर इस क्षेत्र में किसी व्यक्ति एवं प्रसूता को उपचार के लिए एंबुलेंस बुलानी पड़ जाती है तो वह भी समय से नहीं पहुंच पाती..! जाम के झाम में फसी एम्बुलेंस कभी-कभी मरीज के लिए जोखिम भरा हो जाता है और कई बार तो ऐसा भी देखने को मिला जब किसी ने एंबुलेंस का इंतजार करते-करते अपने प्राण त्याग दिए..! इलाज के अभाव में हो रही मौत या फिर एक-एक सांस के लिए संघर्ष करती जिंदगी व्यवस्था पालकों को कोसते हुए नजर आती है..! क्या एक इंसानी जिंदगी से भी बढ़कर अपनी लाभ की हिस्सेदारी हो सकती है, किंतु इस क्षेत्र का दुर्भाग्य कहे या अफसर की नाफरमानी चाहे पुलिस हो, राजस्व हो, खनिज हो या फिर ए आरटीओ प्रशासन सभी अपनी हिस्सेदारी बटोरने में जुटे हुए हैं जिसके चलते आम इंसान की जिंदगी इस लगने वाले भीषण जाम के झाम में उलझ सी गई है..!
जहां एक ओर पड़ोसी जनपद बांदा के मरका मोरम घाट संचालक के द्वारा पूरे क्षेत्र में लोकेटरों का एक जाल सा बिछा दिया गया है जिसके चलते समय-समय पर लोकेशन प्राप्त होने के साथ ही भारी भरकम ओवरलोड वाहनों की धमाचौकड़ी तेज हो जाती है और आने-जाने वाले दो एवं चार पहिया वाहन अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए घंटाे मुसीबत की मार झेलते रहते है..!
बताते चले कि बीती 25 दिसंबर की रात एक प्रसव पीड़ा से ग्रसित मरीज को अस्पताल में भर्ती करने के लिए जा रही है एंबुलेंस असोथर- कटौता रोड पर जाम में फंस गयी। करीब पौन घंटे तक जब जाम नहीं खुला तो एंबुलेंस चालक ने लोकेशन वीडियो बनाकर अपने अधिकारियों को भेजा और सूझ-बूझ का परिचय देते हुए दूसरे मार्ग के रास्ते मरीज के गांव दरियावपुर पहुंचकर प्रसूता को रिसीव करने के बाद अस्पताल पहुंचाया। इस दौरान महिला प्रसव पीड़ा से तड़पती रही..! गनीमत यह रही की जच्चा एवं बच्चा सुरक्षित बताएं जाते हैं..! कुछ ग्रामीणों ने नाम न छापने के शर्त पर बताया कि इस तरह की घटनाएं क्षेत्र के लिए आम बात बन चुकी है। बताया की नासूर बन चुकी जाम की समस्या को लेकर जब वह लोग आवाज बुलंद करने का प्रयास करते हैं तो मोरम घाट संचालक द्वारा स्थानीय पुलिस से सांठ-गाँठ कर उन पर नाहक दबाव बनाया जाता है और उल्टा ही उन लोगों का उत्पीड़न शुरू हो जाता है जिसकी वजह से कोई भी अब आवाज उठाने की हिम्मत नहीं जुटा पाता..!