बरेली। मोहर्रम की चार तारीख को मातम जुलूस का सिलसिला जारी रहा। सुन्नी समुदाय के लोगों ने अलम जुलूस निकाले। वही शिया समुदाय के लोगों ने इमामबाड़ों मे मातम, नौहाख्वानी, सीनाजनी की। इमामबाड़ों में मजलिस का दौर चला। मौलाना गुलाम असकरी ने कर्बला में हजरत इमाम हुसैन का किरदार बयां करते हुए कहा कि हमें अजादारी के साथ साथ नमाज का भी पाबंद होना चाहिए। भाईचारा और अमन सौहार्द्र का पैगाम अजादार दें। ऑल इंडिया गुलदस्ता ए हैदरी के मीडिया प्रभारी शानू काजमी ने बताया गुरुवार को भी अजदारों ने मजलिस मातम कर हजरत इमाम हुसैन सहित कर्बला के शहीदों का गम मनाया। एक मजलिस इमामबाड़ा हुसैन अहमद मीरा की पेट पुराना शहर में हुई। मजलिस को खिताब करते हुए मौलाना गुलाम असकरी खां ने कहा है कि हमें अजादारी के साथ साथ नमाज का भी पाबंद होना चाहिए। हजरत इमाम हुसैन ने नमाज आखिरी वक्त तक पड़ी, उनकी कुर्बानी के मकसद को समझना चाहिए। आपस में इत्तेहाद रखना चाहिए। हम खुशनसीब है जो हमें ये गम नसीब हुआ और आज हम हुसैन का गम मना रहे है। मौलाना जैनुल हसन जैदी बाराबंकी ने कहा कि हमें अच्छी शिक्षा के साथ दीनी तालीम भी हासिल करना चाहिए। पूरी दुनिया हजरत इमाम हुसैन का सम्मान करती है। मीडिया प्रभारी शानू काजमी ने बताया कि पुरानी शहर में ही दूसरी मजलिस इमामबाड़ा आबिद असगर बुखारपुरा में हुई। मौलाना गजनफर हुसैन सेंथली ने खिताब किया।।
बरेली से कपिल यादव