बढ़ती गई राशि, स्वच्छ नहीं हो सके गांव, टूटे पड़े हैं शौचालय: औपचारिक बनकर रह गया स्वच्छता अभियान

उपयोग लायक नहीं शौचालय
मध्यप्रदेश/तेन्दूखेड़ा/ दमोह- गांवों में स्वच्छता अभियान चलाकर घरों में शौचालय बनाने के लिए की जो राशि जारी होती है कि उसमें अनियमितता की जा रही है।यही कारण है कि गांवों में स्वच्छ भारत अभियान के तहत बने शौचालय उपयोग के लायक ही नहीं है। इसकी बानगी जनपद पंचायत तेन्दूखेड़ा में दिख रही है जनपद पंचायत के अंतर्गत समस्त ग्राम पंचायतों में अनुपयोगी साबित हो रहे हैं शौचालय खुले में शौचमुक्त कराने के लिए देश मेंसमग्र स्वच्छता अभियान चलाया जा रहा है इसके तहत थे घर -घर शौचालय का निर्माण भी हुआ लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में बने शौचालय इतने घटिया है कि अनुपयोगी साबित हो रही है।तेन्दूखेड़ा जनपद के अंतर्गत आने वाली सभी पंचायतों में कागजों में ही स्वच्छता अभियान चल रहा है।यहां बने शौचालय इतनी घटिया है कि उपयोग करने ही लाइक नहीं है और जर्जर हालत में पहुंचते जा रहे हैं दरअसल इसके निर्माण में मिट्टी मिली रेत का इस्तेमाल हुआ है इससे यह मजबूती प्रदान नहीं कर पा रहे हैं कहीं तो बिना गड्ढे के ही सीट लगाकर उसकी फोटो खींच कर पूरा करा दिया अधिकारियों के निरीक्षण न करने के कारण ग्राम पंचायत मिलीभगत से यह निर्माण किया गया है।

इस तरह बढ़ी राशि:- जिला पंचायत के माध्यम से 1999 में समग्र स्वच्छता अभियान चलाया जा रहा है इसके तहत गांव में शौचालय बनाए जाने के लिए पात्र हितग्राही को 5सौ रुपए दिए जाते थे। 2007 में राशि बढ़कर 12सौ रुपए हो गई इसके बाद 2009 में राशि 22सौ रुपए कर दी गई इस बीच 1 अप्रैल 2012 को केंद्र की कांग्रेस सरकार ने समग्र स्वच्छता अभियान को निर्मल भारत अभियान का नाम दे दिया।जिसके बाद शौचालय के लिए 46 सौ रुपए निर्मल भारत अभियान और 44सौ रुपए रोजगार गारंटी योजना के तहत मिलने लगा। लेकिन जब केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद 2अक्टूबर 2014को निर्मल भारत अभियान का नाम बदलकर स्वच्छ भारत मिशन कर दिया गया और राशि 12हजार रुपए कर दी गई।

जब इस संबंध में तेन्दूखेड़ा मुख्य कार्यपालन अधिकारी मनीष बागरी से बात करनी चाहिए तो उन्होंने अपना फोन रिसाव नहीं किया।

– विशाल रजक मध्यप्रदेश

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