बरेली। रबर फैक्ट्री की 1380.23 एकड़ भूमि वापस लेने के लिए राज्य सरकार बाम्बे हाईकोर्ट में पक्षकार बन गई है। जिला प्रशासन की ओर से राज्य सरकार के पुनर्प्रवेश एवं स्वामित्व के संबंध में अलकेमिस्ट एसेट्स रिकांस्ट्रक्शंस लिमिटेड बनाम मैसर्स सिंथेटिक्स एंड केमिकल्स रबर फैक्ट्री प्रकरण में हस्तक्षेप आवेदन (इंटरवेंशन एप्लीकेशन) दाखिल कर दिया गया। शासन से अनुमति मिलने के बाद हाईकोर्ट में आवेदन दाखिल किया गया। रबर फैक्ट्री प्रकरण में बॉम्बे हाईकोर्ट में 24 फरवरी को अहम सुनवाई है। रबर फैक्ट्री वर्ष 1999 में बंद हो गई थी। पूर्व में फैक्ट्री प्रबंधन को जमीन लीज पर दी गई थी। बॉम्बे हाईकोर्ट में रिट पिटीशन संख्या 999/2000 अलकेमिस्ट एसेट्स रिकांस्ट्रक्शन लि. बनाम सिन्थेटिक एंड केमिकल्स फैक्ट्री व अन्य की सुनवाई चल रही है। इसमें राज्य सरकार अभी तक पक्षकार नहीं थी। 19 फरवरी को इंटरवेंशन एप्लीकेशन के दाखिल होने के बाद सरकार भी चर्चित मुकदमे में पक्षकार बन गई। राज्य सरकार की ओर से बॉम्बे हाईकोर्ट में अधिवक्ता रमेश दुबे पाटिल पैरवी कर रहे हैं। जिला प्रशासन ने 8 फरवरी को नामित अधिवक्ता की जूनियर अधिवक्ता को ई-मेल के जरिए इंटरवेंशन एप्लीकेशन तैयार कर उपलब्ध कराई थी। शासन की अनुमति लेने की वजह से एप्लीकेशन दाखिल में देरी हुई। आपको बता दें कि 2 मई, 1961 को उत्तर प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल एवं मैसर्स सिन्थेटिक एंड केमिकल्स लिमिटेड कंपनी के मध्य अंतरण विलेख (डीड ऑफ ट्रांसफर) निष्पादित की गई। तहसील बरेली में शामिल ग्राम रूकुमपुर व माधौपुर माफी से संबंधित बंदोबस्त अभिलेख अंतरण विलेख एवं खतौनियों का परीक्षण किया गया। जिसमें रबर फैक्ट्री के संबंध में कई निष्कर्ष सामने आये। 2 मई, 1961 में अंतरण विलेख में ग्राम भिटौरा नौगवां उर्फ फतेहगंज पश्चिमी, ग्राम कुरतरा तहसील मीरगंज और रूकुमपुर व माधौपुर गांव तहसील सदर के चार राजस्व गांवों का कुल क्षेत्रफल 1380.23 एकड़ रकबा, तीन लाख नौ हजार पांच सौ चौवन रुपये में खरीदा गया था। अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व मनोज कुमार पांडेय ने बताया कि रबर फैक्ट्री की जमीन वापस लेने के लिए पैरवी तेज हो गई है। बाम्बे हाईकोर्ट में राज्य सरकार पक्षकार बन गई है। 19 फरवरी को इंटरवेंशन एप्लीकेशन दाखिल कर दी गई। प्रकरण में मजबूत पैरवी कराई जा रही है।।
बरेली से कपिल यादव