हमारे आस पास के पर्यावरण और बेजुबान निरीह जन्तुओ को संवेदना भरी नजरो से सबसे ज्यादा कौन देखता है? जवाब है- युवा। बालमन आस पास की प्रकृति और बेजुबान जीवो को रहस्य की तरह देखता है. वह इन जीवो को पास जाकर जब छूता है, तो उसका मन गुदगुदाता है. इन्ही वजहों से जब वह इन जन्तुओ के खिलाफ हिंसा देखता है तो उसका कोमल मन करुणा और संवेदना से भर जाता है. यह बाते निकल कर आयी स्कार्ड संस्था (सोशल कलेक्टिव एक्शन फॉर रिसर्च एंड डेवलपमेंट) द्वारा आयोजित संगोष्ठी मे जिसका आयोजन विश्व वन्यजीव दिवस के अवसर पर किया गया.
इस मौके पर स्कार्ड के अध्यक्ष विपिन अग्निहोत्री ने बताया की संकटग्रस्त जीवो के प्रति जागरूकता बढाने और उनको विलुप्त होने से बचाने की पहल काफी जरुरी है खासकर युवा वर्ग के मध्य क्यूंकि आने वाले समय मे यह लोग ही नीति निर्धारक के रूप मे फैसले लेंगे.
वन्यजीव विशेषज्ञ मनजोत चक्रवर्थी ने संगोष्ठी के दौरान इस बात से रूबरू कराया की जीवो की २५९९ प्रजातियां अत्यधिक संकटग्रस्त है. इसी तरह १९७५ पौधे, पादक और अन्य सूक्ष्म जीवो की प्रजातियों का अस्तित्व खतरे मे है.