बीमार माँ को घर में बंद करके चला जाता था बेटा: ठंड से हुई मौत, बदबू फैलने से चला पडोसियों को पता

शाहजहांपुर -यूपी के शाहजहांपुर में दिल को झकझोर देने वाली घटना सामने आयी है। यहां एक कलयुगी बेटा अपनी बुजुर्ग और बीमार मां को सरकारी क्वाटर के कमरे में बन्द करके चला गया। जिसके बाद भूख और बीमारी के चलते महिला की बन्द कमरें में मौत हो गई। पुलिस ने ताला तोड़कर बुजुर्ग महिला के शव को बरामद कर लिया हैं। रेलवे कर्मचारी बेटे की इस करतूस से यहां हर कोई सकते में है। फिल्हाल पुलिस मामले में जांच की बात कर रही है।

जानकारी के अनुसार थाना सदर बाजार के रेलवे कालोनी में पुलिस की भारी मौजूदगी और भीड़ के कौतुहल का नजारा एक ऐसी घटना के बाद का है जिसे सुनकर आपके रोंगटे खड़े हो जायेंगे। यहां एक कलयुगी बेटा अपनी बुजुर्ग बीमार मां लीलावती को अपने सरकारी क्वार्टर में बाहर से बन्द करके चला गया। बाद में क्वार्टर से बदबू आने पर लोगों ने पुलिस को सूचना दी और ताला टोड़कर शव को बरामद किया गया। बताया जा रहा है कि सलिल चैधरी रेलवे में टीटीई है। पड़ोसियों की माने तो महिला का बेटा सलिल अक्सर अपनी मां को सरकारी क्वार्टर में बन्द करके दो दो दिन के लिए चला जाता था। बताया जा रहा है कि तीन दिन पहले महिला का बेटा उसे बन्द करके चला गया था जिसके बाद बीमार की ठन्ड से मौत हो गई। बताया जा रहा है कि महिला के पति राम शेर कांग्रेस से जनप्रतिनिधी भी रह चुके हैं। यहां एक कलयुगी बेटे की इस करतूत पर हर कोई हैरत में है।

घर से बदबू आने की सूचना पर जब पुलिस मौके पर पहुची तो घर के बाहर ताला लगा हुआ था। पुलिस ने ताला तोड़ा जो नजार देखा उसे देखकर उसकी का भी कलेजा मुंह को आ गया। महिला जमीन पर बिस्तर पर मृत अवस्था में पड़ी हुई थी। वहां ना कुछ खाने को था और पीने के लिए कुछ था। फिल्हाल पुलिस बीमारी और ठन्ड से महिला की मौत का अन्दाजा लगा रही है। और मामले में जांच की बात कर रही है।

अगर कलयुगी बेटे ने महिला को ताले में बन्द ना किया होता तो शायद पड़ोसी इस बुजुर्ग महिला की मदद कर देते लोगों को जब तक पता चला तब उसकी मौत हो चुकी थी। यहां सवाल आज की उस बदलती सामाजिक व्यवस्था पर उठ रहा है जिसने बूढ़े मां बापों को अपनी औलादों में मां लिए प्यार खत्म कर दिया है। शयद इसी मां ने बचपन में अपने इसी कलयुगी बेटे के लिए ना जाने कितनी राते बिना सोये गुजारी होंगी। यहां अपने कलयुगी बेटे की इस हरकत पर हर कोई बेटे को कोस रहा है। जरूरत है अपने मां बाप की उस वक्त उन्हे सहारा देने की जब उन्हे बैसाखी के तौर पर अपनों के सहारे की जरूरत होती है।

– शाहजहांपुर से अंकित कुमार शर्मा

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