बरेली/फतेहगंज पश्चिमी। जनपद के थाना फतेहगंज पश्चिमी क्षेत्र मे वर्ष 1998 में 65 लोगों के खिलाफ दर्ज बवाल और पुलिसकर्मियों की हत्या के प्रयास के मुकदमे को शासन ने वापस ले लिया है। बताया जा रहा है कि इस मामले में आरोपियों के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट से गैरजमानती वारंट भी जारी हुए थे। इसके बाद स्थानीय भाजपा नेताओं व जनप्रतिनिधियों शासन में पैरवी की थी। अब राज्यपाल की संस्तुति पर विशेष सचिव न्याय मुकेश सिंह ने नौ सितंबर को जिलाधिकारी और एसएसपी को मुकदमा वापसी के संबंध में पत्र जारी किया है। लगातार तीन दिनों तक बिजली आपूर्ति ठप रहने से नाराज कस्बा और आसपास के गांव के लोगों ने 20 जून 1998 को राष्ट्रीय राजमार्ग पर जाम लगाकर धरना-प्रदर्शन किया था। वे जाम खोलने के लिए तैयार नही हुए तो पुलिस और पीएसी के जवानों ने उनपर लाठी चार्ज कर दिया था। धरना दे रहे लोगों को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा गया था। इसमें दर्जन भर से अधिक लोग घायल हुए थे। इससे नाराज भीड़ ने पुलिस टीम पर पथराव कर दिया था। पथराव मे पुलिस के पांच वाहन क्षतिग्रस्त हुए थे। तत्कालीन एसपी देहात गुलाब सिंह बाल-बाल बच गए थे। तब प्रशिक्षु दरोगा एपी सिंह की ओर से चक्रवीर सिंह चौहान, राजेश गुप्ता, कृष्णपाल मौर्य, मोहम्मद इश्तियाक खान, सत्यप्रकाश अग्रवाल, अजय कुदेशिया, अकरम खान सहित 65 लोगों पर पुलिसकर्मियों की हत्या की कोशिश, एक राय होकर हमला करने व उपद्रव के आरोप में रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। भाजपा नेता आशीष अग्रवाल ने बताया कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में मोहम्मद इश्तियाक खान ने पैरवी की थी लेकिन गैरजमानती वारंट वापस नही हुए। इसके बाद भाजपा नेता आशीष अग्रवाल सहित अन्य नेताओ ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और वर्तमान में झारखंड के राज्यपाल संतोष गंगवार, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य समेत प्रदेश सरकार के अन्य मंत्रियों के सिफारिशी पत्र लगाकर मुख्यमंत्री से मुकदमा वापस लिए जाने का अनुरोध किया। उनके निर्देश पर विशेष सचिव न्याय मुकेश कुमार सिंह ने बरेली के जिलाधिकारी और एसएसपी से रिपोर्ट तलब करने के बाद मुकदमा वापस लिए जाने की स्वीकृति दे दी है।।
बरेली से कपिल यादव