बारिश ने तोड़ डाली अन्नदाता की कमर, रसूला चौधरी के किसान की दिल का दौरा पड़ने से मौत

फतेहगंज पश्चिमी, मीरगंज, बरेली। तीन दिन तक रुक-रुककर हुई बारिश ने नौ छोटी-बड़ी नदियों से घिरी मीरगंज तहसील के तीन सौ से ज्यादा गांवों मे ढाई लाख से अधिक किसानों की कमर तोड़कर रख दी है। छह महीने की खून-पसीना एक कर की गई गाढ़ी मेहनत से तैयार की गई धान, सरसों, गन्ना, मिर्च, उड़द की फसल को पानी के रेले में बर्बाद होते देख अन्नदाता का कलेजा फटा जा रहा है। रसूला चौधरी के एक किसान की तो धान की कटी फसल पानी में भीगकर नष्ट होने का सदमा बर्दाश्त नहीं कर पाने से हार्टअटैक से मौत हो ही चुकी है। आपको बता दें कि इस पूरे मानसून सीजन भर काश्तकार जून माह को छोड़कर पानी की बूंदों के लिए आसमान को ताकते ही रहे थे। किराए के पंपिंग सेट, बोरिंग और आसमान छूते डीजल के दामों के बीच महंगी सिंचाई से जैसे-तैसे धान की फसल को तैयार किया और महंगी मजदूरी पर कटवाया तो अचानक तीन दिन तक रुक-रुककर होती रही। भारी बारिश से खेतों में भरे पानी मे भीगकर सारा धान खराब हो गया है। दो दिन से मौसम साफ होने और धूप निकलने के बाद मजबूर किसान पुआल समेत भीगा धान खेतों से उठवा तो लाए हैं लेकिन भीगकर बुरी तरह खराब हो चुके इस धान को सुखाने के बाद भी खाने लायक चावल निकलने के आसार बिल्कुल भी नहीं है। लिहाजा आधे दाम मे भी खरीददार बहुत ढूंढने पर भी बामुश्किल इक्का-दुक्का ही मिल पाएंगे। मीरगंज तहसील के ब्लाॅक फतेहगंज पश्चिमी के गांव रसूला के 50 वर्षीय गंगाराम दिवाकर गत दिवस अपने खेतों पर गए थे। खेतों में कटी पड़ी बारिश के पानी में भीगकर नष्ट हुई धान की पूरी फसल को देखकर उन्हे इस कदर सदमा लगा कि खेत में ही दिल का दौरा पड़ गया और जब तक घर वालों ने अस्पताल तक पहुंचाया। उनके प्राण पखेरू उड़ गए। यह त्रासदी सिर्फ रसूला चौधरी गांव के गंगाराम दिवाकर के साथ ही हुई हो, ऐसा भी नहीं है। पारिवारिक जिम्मेदारियों के बोझ तले दबे सैकड़ों किसान छह महीने की कमाई को पानी में बर्बाद होते देख आत्महत्या जैसा घातक कदम तक उठाने को मजबूर है। पनबड़िया, चिटौली, उनासी, मनकरी, खिरका, कुरतरा, माधौपुर, सैजना, सिंधौली, हुरहुरी, गोरा लोकनाथपुर, सिरोधी अंगदपुर, नगरिया सोबरनी, सिमरावां, निर्भुआ समेत मीरगंज तहसील के ज्यादातर गांवों के किसानों की हालिया बारिश में धान की पूरी कटी पड़ी फसल खेतों में ही भीगकर बर्बाद हो जाने से कमोबेश यही दुर्दशा हुई है। नरखेड़ा गांव के किसान चौधरी भूप सिंह बताते हैं कि तीस बीघा खेत में कटा पड़ा पूरा धान पानी का रेला चलने से उठाने लायक तक नहीं बचा है। तीन बीघा क्विंटल की दर से 90 क्विंटल धान की डेढ़-पौने दो लाख की कमाई पानी में बह गई है। कमोबेश यही हाल सुकली, नरेली, रसूलपुर, पहाड़पुर समेत इलाके भर के गांवों के सैकड़ों दीगर किसानों का भी है। नगरिया कल्याणपुर के चौधरी छत्रपाल सिंह बताते हैं कि इस बार गन्ने का काफी महंगा बीज बोया था। काफी रुपये खर्च कर खाद और महंगी दवाइयां भी लगाई लेकिन कई दिन की बारिश से गन्ने की फसल को भी भारी नुकसान हुआ है। सरसों, लहटा, लाही की फसल भी खेतों में बिछ गई है। किसानों का आरोप यह भी है कि सरकार के हवा-हवाई दावों के बिल्कुल उलट मीरगंज तहसील प्रशासन ने गांवों में हुए नुकसान का सर्वे तक नहीं करवाया है। एसडीएम मीरगंज कमलेश कुमार सिंह ने बताया कि गांवों मे नुकसान काफी हुआ है। इसलिए लेखपाल तत्काल सभी गांवों में नहीं पहुंच पा रहे हैं। लेकिन सभी गांवों में लेखपालों को भेजकर सर्वे कराया जाएगा और प्रभावित किसानों को नियमानुसार उचित मुआवजा भी जरूर दिलवाया जाएगा। धैर्य बनाए रखे।।

बरेली से कपिल यादव

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