*जनता पार्टी की तरह बीजेपी का विनाश सुनिश्चित
राजस्थान- नेशनल हेराल्ड के मामले में राहुल से पूछताछ हो सकती है तो बीजेपी के नेताओ से गुरेज क्यो ? देश के गृह मंत्री अमित शाह के बेटे की कम्पनी पर ईडी की नजरें इनायत क्यो ? बाबा रामदेव की कम्पनी पतंजलि के काले कारनामो पर पर्दा क्यो ? उस कम्पनी के खिलाफ मुकदमा क्यो नही जिसने 199 रुपये स्मार्ट फोन बांटने का झांसा देकर करोड़ो लोगों को बेवकूफ बनाया था ।
देखा जाए तो अभी तक ईडी द्वारा उन्ही नेताओ को निशाना बनाया है जो बीजेपी से इतर है । चाहे भूपेश बघेल हो या अशोक गहलोत । फारुख अब्दुल्ला हो या फिर अखिलेश यादव । राजनाथ सिंह, स्मृति ईरानी, देवेंद्र फडणवीस, वसुंधरा राजे, गौतम अडानी से ईडी को मोह क्यो ? क्या ईडी का कार्य विपक्ष की आवाज दबाने का है ? यदि नही तो ईडी को बाबा रामदेव से लेकर हेमामालिनी के काले चिट्ठो की भी जांच करनी चाहिए ।
नेशनल हेराल्ड मामले की गूंज आज पूरे देश मे है । लेकिन सवाल यह है कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी के स्वामित्व वाली कम्पनी यंग इंडिया लिमिटेड को नेशनल हेराल्ड के अधिग्रहण या हड़पने से फायदा क्या हुआ ? हकीकत यह है कि नेशनल हेराल्ड में अलावा देनदारियों के अलावा कुछ नही है । यह केवल पोलिटिकल स्टंट है जिसके जरिये मोदी सरकार गांधी परिवार पर बेवजह हमला बोल रही है ।
मीडिया के माध्यम से इस तरह प्रचारित किया जा रहा है मानो सोनिया और राहुल नेशनल हेराल्ड के नाम से 2000 करोड़ रुपये डकार गए । जबकि हकीकत यह है कि नेशनल हेराल्ड की बिल्डिंग आज भी यथावत है । सोनिया और राहुल को फायदा तब होता जब दोनों नेशनल हेराल्ड की संपत्ति को बेच या खुर्द-बुर्द कर देते । हकीकत में देखा जाए तो यह पूरी तरह राजनीति से प्रेरित मामला है जिसके जरिये मोदी सरकार गांधी परिवार को परेशान करने की सुपारी ली है ।
हो सकता है कंपनी एक्ट के तहत लें-देन में कोई अनियमितताओं हुई हो । लेकिन नेशनल हेराल्ड के आदान प्रदान में कोई बदनीयती नही थी और न ही प्रवर्तन निदेशालय इसे प्रमाणित कर पाएगा । यदि प्रवर्तन निदेशालय यह प्रमाणित करने में कामयाब हो जाता है कि यंग इंडिया लिमिटेड ने एसोसिएट जर्नल लिमिटिड ने नेशनल हेराल्ड को हस्तगत कर कोई बेजा फायदा उठाया है तो हिंदुस्तान में एक नही ऐसे लाखों प्रकरण ईडी को खोलने पड़ेंगे ।
जिस तरह दिल्ली के बहादुर शाह जफर मार्ग पर इंडियन एक्सप्रेस, टाइम्स ऑफ इंडिया, वीर अर्जुन आदि समाचार पत्रों को जमीन का आवंटन किया गया था, उसी शर्त पर 1962 में नेशनल हेराल्ड को भी भूखण्ड आवंटन किया था । शर्त यह थी कि इस भूखण्ड का कोई व्यवसायिक उपयोग नही किया जाएगा । यह शर्त अन्य समाचार पत्रों पर भी लागू थी । लेकिन सभी अखबारों ने इस शर्त का उल्लंघन कर परिसर किराये दे रखे है । एक्सप्रेस ने तो सरकारी जमीन पर अतिक्रमण तक कर रखा है ।
जैसा पहले कहा गया था कि हेराल्ड के मामले में तकनीकी अनियमितता हो सकती है । लेकिन ऐसा बड़ा कोई घोटाला नही हुआ है जैसा अम्बानी, अडानी, बाबा रामदेव ने किया है । कुमार मंगलम की कम्पनी आइडिया पर जब हजारो करोड़ का कर्जा होगया तो सरकार उसे मदद कर रही है । अगर कांग्रेस पार्टी ने नेशनल हेराल्ड को संचालित करने के लिए किसी कम्पनी के माध्यम से मदद की तो गुनाह क्या किया ?
यदि मोदी सरकार इसी तरह राजनीतिक रंजिश के चलते विपक्ष को कुचलती रही तो इसका भी वही हश्र होगा जो जनता पार्टी का हुआ था । आज जनता पार्टी बिखर कर दर्जनों टुकड़ो में बंट गई है । बीजेपी के इससे भी ज्यादा टुकड़े होना अवश्यम्भावी है । शाह आयोग के माध्यम से इंदिरा गांधी को परेशान किया था । नतीजतन इंदिरा सत्ता पर काबिज होगई और परेशान करने वाले नेताओं को बिल में दुबकना पड़ा । कमोबेश यही भविष्य बीजेपी का है । मोदी और शाह की जोड़ी बीजेपी को पैंदे बैठाने की तैयारी कर रही है ।
– राजस्थान के बाड़मेर से राजू चारण