बाड़मेर पूर्व विधायक मेवा राम जैन सहित कई नेताओं की काग्रेस पार्टी में होगी वापसी

राजस्थान/बाड़मेर- राजस्थान में कांग्रेस पार्टी के भीतर एक बार फिर ‘घर वापसी’ की चर्चा जोर पकड़ रही है। पिछले डेढ़ साल में पार्टी विरोधी गतिविधियों या बगावती रुख के कारण निष्कासित हुए कई दिग्गज नेता अब वापस लौटने की जुगत में हैं। खास तौर पर पश्चिमी राजस्थान से यह हलचल तेज हुई है। दरअसल, निकट भविष्य में होने वाले निकाय और पंचायत चुनावों को देखते हुए ये नेता अपनी सियासी जमीन बचाने और मजबूत करने की रणनीति बना रहे हैं।

जानकारी के मुताबिक कांग्रेस से निष्कासित या अलग हुए जिन नेताओं के नाम चर्चा में हैं, उनमें पूर्व मंत्री अमीन खान, पूर्व विधायक मेवाराम जैन, गोपाल गुर्जर, रामचंद्र सराधना, बलराम यादव, कैलाश मीणा और खिलाड़ी लाल बैरवा शामिल हैं। ये सभी अपने-अपने क्षेत्रों में मजबूत जनाधार रखते हैं और कभी कांग्रेस के भरोसेमंद चेहरों में गिने जाते थे। इनमें से कई नेताओं ने निर्दलीय या अन्य दलों के टिकट पर चुनाव लड़ा था, जिससे कांग्रेस को नुकसान हुआ। अब ये नेता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के संपर्क में हैं और वापसी की संभावनाएं तलाश रहे हैं।

सूत्रों के मुताबिक प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व ने साफ कर दिया है कि जो नेता बिना शर्त वापस लौटने और पार्टी की विचारधारा के अनुरूप काम करने को तैयार हों, उनका स्वागत संभव है। हालांकि, अंतिम फैसला पार्टी हाईकमान ही करेगा। प्रदेश कांग्रेस के एक महासचिव ने बताया कि कई नेता वापसी की कोशिश में हैं, लेकिन निर्णय दिल्ली में लिया जाएगा। प्रदेश संगठन सिर्फ सिफारिश कर सकता है।

बता दें, हाल ही में बगावत कर चुनाव लड़ने वाले कुछ नेताओं को कांग्रेस ने फिर से गले लगाया है। इनमें पूर्व मंत्री वीरेंद्र बेनीवाल, बाड़मेर के पूर्व जिला अध्यक्ष फतेह खान, ओम बिश्नोई, सुनील परिहार और कामां से निर्दलीय रहे मुख्तार शामिल हैं। संगठन को मजबूत करने और स्थानीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए इन नेताओं को वापस लिया गया।

वापसी की कवायद में अमीन खान और मेवाराम जैन के नाम सबसे ज्यादा सुर्खियों में हैं। अमीन खान कई बार विधायक और मंत्री रह चुके हैं, जबकि मेवाराम जैन तीन बार विधायक रहे। अमीन खान को पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए निष्कासित किया गया था, वहीं मेवाराम जैन वायरल होने के कारण बाहर का रास्ता दिखाया गया। अब दोनों नेता पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं।

बाड़मेर में अमीन खान की वापसी को लेकर पार्टी में विरोध शुरू हो गया है। उनकी हरीश चौधरी गुट से पुरानी अदावत रही है। विधानसभा चुनाव में हरीश चौधरी के करीबी फतेह खान ने अमीन खान के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ा था, जिससे उनकी हार हुई। अमीन खान ने इसके लिए हरीश चौधरी को जिम्मेदार ठहराया और खुलकर विरोध किया।

अमीन खान फिलहाल जयपुर में डेरा डाले हुए हैं, लेकिन मीडिया से दूरी बनाए हुए हैं। अनौपचारिक बातचीत में उन्होंने अपने 50 साल के कांग्रेस से रिश्ते का हवाला देते हुए वापसी को जायज बताया। उनका आरोप है कि हरीश चौधरी और प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा उनकी राह में रोड़ा बने हुए हैं।

चुनाव से पहले सियासी गोटियां दरअसल, राजस्थान में निकाय और पंचायत चुनाव नजदीक हैं। ऐसे में नेताओं का ‘आयाराम-गयाराम’ अब आम हो गया है। जिन नेताओं ने निर्दलीय या अन्य दलों के बैनर तले चुनाव लड़कर कांग्रेस का गणित बिगाड़ा था, उनका जनाधार अब पार्टी को लुभा रहा है। पार्टी इन नेताओं को वापस लाकर अपने जनाधार को मजबूत करने की रणनीति पर विचार कर रही है।

– राजस्थान से राजूचारण

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