बाड़मेर/राजस्थान- शायद टाइगर को बाड़मेर जिला रास नहीं आ रहा है इसलिए दिन ब दिन पुलिस मुख्यालय से तबादला सूची आने का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन एक पुरानी कहावत है कि पल दो पल का सुख भी ऐसा होना चाहिए कि आदमी जिंदादिली से जिएं,घुट घुट कर जीने से लाख गुना ज्यादा अच्छा होता है …..
हमारे शहरी क्षेत्र में जिला मुख्यालय के अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा अमूमन बाजार का एक आध चक्कर जरूर हो जाता है लेकिन सही आकलन करने में शायद नाकाम रहे, विवेकानंद चौराहे से रेल्वे स्टेशन ओर फिर पुलिस कोतवाली, सदर बाजार,ईलोजी मार्केट, ढाणी बाजार,मौखी नम्बर आफ, चौहटन चौराहे से सिणधरी चौराहे ओर आगे फिर सिणधरी रोड़ पर पुलिस चौकी से आगे तक, गडरा सर्किल, मुख्य बाजार के आस-पास की गलियों में, कलेक्ट्रेट परिसर से राय कालोनी क्षेत्र, नवले की चक्की, कृषि और सब्जी मंडी में एक बार इमानदारी से सरकारी भ्रमण करने की जरूरत है बाड़मेर जिले की आम आवाम की नजरों से….
यहां पर रेल्वे स्टेशन से लेकर पुरानी सब्जी तक सड़क के बीच बेतरतीब तरीके से फल-सब्जी के ठेला आमजन के लिए मुसीबत बने हैं। इन ठेलों के कारण आए दिन जाम की नौबत आती है, जिसके चलते राहगीर और वाहन चालक परेशान होते हैं। हमेशा की तरह रविवार दोपहर को भी स्टेशन रोड़ पर पुरानी सब्जी मण्डी तक कुछ ऐसी ही विकट स्थिति बनी। आड़े-तिरछे ठेला खड़ा होने और बीचोंबीच ऑटो चालक द्वारा ओटो को खड़ा रहने से जाम लग गया। रक्षा बंधन के त्योहार का दिन होने के कारण बाजारों में लोगों की आवाजाही भी हमेशा से अधिक थी। इस बीच पुरानी सब्जी मण्डी में जाम लगने से लोगों को खूब परेशानी झेलनी पड़ी। काफी मशक्कत के बाद जैसे-तैसे जाम खुला तब जाकर लोगों को राहत महसूस हुई।
गौरतलब है कि पुरानी मण्डी में दुकानों के अलावा सड़क पर फल-सब्जी के ठेले लगते हैं, जिससे रास्ता ओर संकरा हो जाता है। मंदिर जाने वाले भक्तों को मुख्य रास्ता होने से इस मार्ग पर सुबह से देर रात तक बड़ी संख्या में लोगों की आवाजाही बनी रहती है, लेकिन रास्ते में ठेलों के अलावा ऑटो-टेम्पो भी खड़े रहते हैं। ऐसे में लोगों को निकलने में बहुत ज्यादा मुश्किल होती है।
पुरानी सब्जी मण्डी में एक समस्या यह भी है कि यहां हमेशा सड़क के बीचोंबीच गंदगी का अंबार लगा रहता है। सड़े-गले फल-सब्जी को सड़क पर ही डाल दिया जाता है, जिन पर दिनभर सूअर, आवारा जानवर मुंह मारते हैं, जो भी आमजन को मुसीबत बनते हैं। आवारा जानवरों के कारण हादसे की भी आशंका बनी रहती है। सड़क पर पड़े फल-सब्जियों को खाने के प्रयास में जानवर आपस में लड़ते हैं, जिससे राहगीर चपेट में आ जाते हैं। पूर्व में इस तरह की कई घटनाएं होने से लोग चोटिल भी हो चुके हैं। एक दो तो भगवान को प्यारे हो गए हैं लेकिन सुनने वाले कौन जो हों रहते हैं अक्सर मौन ?
पहले यातायात व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के लिए नगर परिषद द्वारा क्रेन उपलब्ध कराई गई थी लेकिन पिछले कुछ समय तक यातायात व्यवस्था मुस्तैद करने वाले बहाने बनाते रहे की क्रेन नहीं है हमारे पास में जो ज्यादातर अहिंसा सर्किल पर चालान बनाने की खानापूर्ति करने में ,लेकिन आजकल वह भी उपलब्ध है तो फिर अब कहना ही क्या हमारे जिम्मेदारों का ?
– राजस्थान से राजूचारण