बाड़मेर जिला कलक्टर कार्यालय में भी चल रहा “पीली पर्चियों” का खेल

राजस्थान/बाड़मेर- बाड़मेर जिले के दूर दराज़ गावों से रोशनी की एक उम्मीद लेकर सफेद कोरे कागज़ पर अपने दुखड़े लिखकर जिला मुख्यालय पर विराजमान सरकारी कार्यालयों के अधिकारियों को सुनाने आते हैं जैसे सामने वाला कोई जादूगर है और वो कुछ ही क्षणों में हमारी मूलभूत समस्याओं का समाधान कर देगें लेकिन वो अपनी अलग ही रुप में कम्प्यूटर की की बोर्ड या फिर पुराने जमाने में भौला राम के जीव की तरह सिस्टम से सिसकियां लेकर टेबल दर टेबल फरियादी कागज़ फटने तक घूमती रहती है लेकिन मूलभूत समस्याओं का समाधान आने वाले सरकारी अधिकारियों द्वारा होगा या फिर ना ये तो सिर्फ फरियाद करने वाले जानते हैं या फिर सामने बैठे से उपर वाला…..

यह “पीली पर्चियाँ” आमजन को जनसुनवाई में प्रस्तुत परिवादो की रसीद के रूप में दी जा रही है। दूर दराज़ के गावों से ग्रामीण लोग उक्त पर्ची के लिए सुबह से दोपहर तीन बजे तक ऐसे इन्तज़ार करते हैं, जैसे उन्हें गांव से आने-जाने का बस किराया माफ हो गया हो। पीली पर्ची को ही लोग अपने काम होने की सौ फीसदी गारंटी समझते है ।”

आजकल बाहर से आने वाले लोगों ने भी कहना शुरू कर दिया है कि अधिकारी वातानुकूलित कमरों में आमजन की समस्याएं सुनने के लिए तैयार भी बैठे हो, तो भी चपरासी उन्हें पर्ची दिलाने के बहाने बिठाकर चाय पानी की भलाई (मलाई) लेते है ।

हमारी जाच पङताल में खुलासा हुआ कि “पीली पर्ची” देने वाले कर्मचारियों को हर महीने बदलते रहते हैं, वहां पर लगे हुए अधिकारी से लेकर चपरासी तक कोई नियमित रूप से कर्मचारी नियुक्त नहीं है नागरिक सुरक्षा से स्वयंसेवक को लाकर खड़ा कर दिया और अगले महीने कोई और मिलेगा पहले वाले को ढूढने की कोशिश ना करो जो फरियाद दिया था।

सेवानिवृत्त इन्जीनियर बी एल शर्मा ने कहा कि जाचं पङताल में यह भी खुलासा हुआ कि जनसुनवाई कोई भी करे, कहीं पर भी करे लेकिन, “परिवादी और परिवाद अक्सर वही के वही होते है जो लगातार किसी को परेशान करने के लिए दिए जाते हैं या फिर खर्चा निकालने के लिए सरकारी अधिकारियों के लिए रामबाण इलाज ।

राज्य सरकार के बड़े बड़े मन्त्री ,बाड़मेर जिले के जनप्रतिनिधि व सरकारी अधिकारी केवल शिकायतों के आकडों को देखते रहते है, जो स्वस्थ लोकतंत्र की दृष्टि से उचित नहीं लगता है ।

जिला कलेक्टर को प्राप्त परिवाद संबंधित विभागों के जिला स्तरीय अधिकारीगण को समयानुसार भेजे जाते हैं, जहाँ से वे स्थानीय कार्मिकों को कार्यवाई हेतु भेजे जाते है । कागजों के उल्टे प्रवाह में और भी अधिक समय बीत जाता है। जिस पर किसी भी जिम्मेदारी निभाने वाले अधिकारियों का ध्यान नहीं जाता है ।

गजब तो यह है कि पर्ची देने वालों के पास न तो जिला मुख्यालय और जिले के विभागों की नियमावली है न ही कोई विशेषज्ञता । किन्तु परिवाद व परिवादी दोनों को उन्ही को ही झेलना पड़ता है ।

समाधान की दिशा में उचित कदम : सभी सरकारी विभागों को आमजन हितार्थ कार्य समय पर करने एवं नहीं करने के कारणों से अवगत कराने की जवाबदेही सुनिश्चित करनी चाहिए ।

जिला कलेक्टर श्रीमती टीना डाबी हमेशां “नवाचार” को लेकर सुर्खियों में रही है तथा केंद्र/राज्य स्तर पर सम्मानित भी हो चुकी है । उनसे आमजन की अपेक्षा है कि वे ऐसा कोई तरीका/प्रपत्र तैयार करे कि शिकायत स्थानीय स्तर पर लेकर, उसमें छपी रसीद परिवीदी को देकर वापस सम्पर्क करने की तिथि (अधिकतम 7 कार्य दिवस) दे दी जावे। उक्त तिथि को परिवादी को लिखित जवाब मिले कि कार्य नहीं हुआ तो आगे परिवादी को कहाँ व क्यों जाना है ? जैसे मरीज के पास रेफरल कार्ड होने पर आगे के चिकित्सक को केस स्टडी और उपचार में सुविधा हो जाती है वैसे ही उच्च स्तर के अधिकारियों और कर्मचारियों को उनके द्वारा किएँ गए काम की उचित जानकारी उपलब्ध होगी।

यदि किसी वरिष्ठ मंत्रालयिक/संस्थापन अधिकारी के पर्यवेक्षण में दो जवाब देह कार्मिक नियुक्त/प्रतिनियुक्त किए जावे, जो परिवादी को सुनकर उसे उक्त प्रपत्र भरकर दे, तो मात्र एक महीने में ही सभी सरकारी विभाग अलर्ट हो जाऐंगे और समय पर लोगों के काम स्थानीय स्तर पर होने लग जाऐंगे । उक्त व्यवस्था लागू करने के बाद भी कलेक्ट्रेट में आने वाले आदतन शिकायती व ब्लेकमेलर आसानी से पहचाने जा सकेंगे ।

या फिर परिवादों को कलेक्ट्रेट के विभिन्न शाखाओ में भेजने चाहिए जिनके पास नियमावली/परिपत्र एवं उक्त विभागों की मॉनिटरिंग का जिम्मा है ! इससे “वाच टावर्स” बढ़ेंगे और जनता को बेहतर सुविधा मिलेगी । जनसुनवाई में सभी अधिकारियों को हाज़िर रहना होगा और अपने फील्ड के परिवादियों को बाहर से ही जवाब देकर सन्तुष्ट करे ! इससे कलेक्टर साहिबा भी उन परिवादों पर फोकस कर सकेंगी जो वास्तविक रूप में जरुरतमन्द लोगों के है ।

– राजस्थान से राजूचारण

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *