बाड़मेर/राजस्थान- बाड़मेर में कांग्रेस पर्यवेक्षक राजेश तिवारी के दौरे ने जिले की ठन्डी सियासत में नई हलचल मचा दी है। तिवारी ने साफ़ शब्दों में कहा कि “जो लोग पार्टी की विचारधारा के खिलाफ़ जाकर संगठन को जानबूझकर नुकसान पहुंचा रहे हैं, चाहे वे कितने ही जिम्मेदार पदों पर क्यों न आसीन हों, उनकी रिपोर्ट सीधे हाईकमान को भेजी जाएगी।” यह बयान उन नेताओं के लिए किसी शूल जैसा साबित हुआ है जो पिछले कुछ समय से स्वयंभू “पार्टी के सर्वोपरि मुखिया धणी” बनकर संगठन में एकछत्र प्रभाव कायम करने की कोशिश में लगे हुए हैं। दरअसल, बाड़मेर कांग्रेस पिछले विधानसभा चुनावों के दौरान ही दो गुटों में बंटी हुई है। एक ओर पूर्व मंत्री हरीश चौधरी और हेमाराम चौधरी का गुट है, जो स्थानीय स्तर पर प्रभावशाली है और निर्णयों पर पकड़ बनाए रखना चाहता है। दूसरी ओर, अमीन खान और मेवाराम जैन का गुट है, जिनकी हाल ही में पार्टी में आलाकमान द्वारा वापसी को लेकर विवाद गहरा गया।
हाईकमान के इन दोनों वरिष्ठ नेताओं अमीन खान और मेवाराम जैन को दोबारा कांग्रेस में शामिल करने के फैसले का विरोध हरीश चौधरी, हेमाराम चौधरी और उम्मेदाराम बेनीवाल जैसे नेताओं ने खुलकर किया है। इसी विरोध ने पार्टी के भीतर गुटबाजी को और तेज कर दिया है।
राजेश तिवारी का यह बयान दरअसल, पार्टी की उस आंतरिक खींचतान पर कड़ा संदेश माना जा रहा है जिसमें यह स्पष्ट कर दिया गया है कि संगठन में “दिल्ली से ऊपर कोई नहीं” और जो लोग आलाकमान की रेखा से ऊपर जाने की कोशिश करेंगे, उन्हें कभी बख्शा नहीं जाएगा।
गौरतलब है कि बाड़मेर में कांग्रेस की आधिकारिक बैठक पार्टी कार्यालय के बजाय अध्ययनरत विधार्थियो के छात्रावास वीरेंद्र धाम में आयोजित की गई थी जो अब कांग्रेस का “अघोषित नया कार्यालय” बन गया है। इस पर अमीन खान ने आपत्ति जताते हुए कहा कि “वहां तो पर्सनल मीटिंग होती रहती है, इसलिए मैं वहां नहीं जाऊंगा।” इसके बाद पर्यवेक्षक राजेश तिवारी ने सर्किट हाउस में अमीन खान, मेवाराम जैन और उनके समर्थकों से लंबी चर्चा की। बताया जा रहा है कि तिवारी इनसे मिलकर काफी संतुष्ट दिखे और दोनों नेताओं को भरोसा दिलाया कि उनकी बात ज्यों की त्यों हाईकमान तक पहुंचाई जाएगी ताकि काग्रेस पार्टी को बाड़मेर जिले में विधानसभा चुनावों की तरह नुकसान नहीं उठाना पड़ेगा।
बाड़मेर सर्किट हाउस में कांग्रेस पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ताओं के साथ मौजूद पूर्व पार्षद बलवीर माली ने कहा कि मौजूदा उठापटक की राजनीति में यह घटनाक्रम इस बात का संकेत है कि कांग्रेस में गुटबाजी अब खुलकर सतह पर आ चुकी है। एक गुट जहां खुद को “स्थानीय ताक़त” मानता है, वहीं दूसरा गुट “दिल्ली हाईकमान” की नज़रों में अपनी पकड़ मजबूत करने में जुटा हुआ है। अब देखना यह है कि तिवारी की रिपोर्ट हाईकमान तक पहुंचने के बाद किसके भाग्य में “हरी झंडी” आती है और किसकी सियासी राह में “लाल बत्ती” जलती है।
– राजस्थान से राजूचारण