बाजार मे बढ़ी चांदी की राखियों की डिमांड, छाई रुद्राक्ष व रेशम के धागों से बनी राखियां

बरेली। भाई-बहन के प्यार भरे पर्व रक्षाबंधन की रौनक बाजारों में देखते बन रही है। दो दिन बाद रविवार 22 अगस्त को बहनें अपने भाई की कलाई पर प्यार बांधेंगी। त्यौहार को पंरपरागत तरीके से सेलिब्रेट करने के लिए खरीदारी तेज हो गई है। पारंपरिक रेशम की डोरी के साथ सोने, चांदी और हीरे के अलावा मीनाकारी की राखी की डिमांड इस बार ज्यादा देखने को मिल रही है। रक्षाबंधन पर इस बार भाइयों की कलाइयों पर चाइनीज राखी नहीं बल्कि बहनें रेशम की डोर बांधेगी। रक्षाबंधन के नजदीक आते ही बहनों ने बाजार में राखियां खरीदनी भी शुरू कर दी हैं। यही कारण है कि इस बार तुलसी, रुद्राक्ष, रेशम के धागों, आर्टिफिशियल ज्वैलरी समेत अन्य सामग्रियों से बनी करीब एक हजार अलग-अलग डिजाइन की स्वदेशी राखियां बाजारों में सजी हुई हैं। वहीं, बाजार में रुद्राक्ष की राखियों की भारी मांग हो रही है। बाजार में सोने की राखी 10 हजार रुपये कीमत से लेकर 20 हजार रुपये तक मौजूद है। वहीं, बहनों के लिए चांदी के ब्रेसलेट एक हजार रुपये से लेकर 5 हजार रुपये तक की कीमत के हैं। बच्चों की राखी भी 600 रुपये से लेकर एक हजार रुपये तक है, लेकिन बाजारों में सबसे ज्यादा रुद्राक्ष की राखी की मांग है। वहीं, बहनें भाभी और भाइयों के लिए चांदी की घड़ी की भी खरीदारी कर रही हैं, जो 10 हजार रुपये की कीमत की है। बहनों के साथ भाई भी इस बार रक्षाबंधन को लेकर काफी उत्साहित हैं। भाई जहां अपनी बहनों के लिए यादगार उपहार खरीद रहे हैं तो दूसरी ओर बहनें इस बार चाइनीज राखियों से बचते हुए भाइयों की कलाई पर स्वदेशी राखियों को पसंद कर रही हैं। दो महीने पहले जिस तरह संक्रमण का प्रकोप था उसे देख प्रतीत हो रहा था कि रक्षाबंधन पर इस बार विक्रेताओं को मायूस होना पड़ेगा। मगर, दुकानदारों के चेहरे खिले हुए हैं। सुभाषनगर में विक्रेता राजकुमार ने बताया कि राखियों के दामों में कोई इजाफा नहीं हुआ है। पिछले साल का भी काफी माल बचा हुआ है। शहर मे सुभाष नगर, आयूब खां चौक, कुतुबखाना, आलमगिरीगंज, किला के बाजारों में राखियों की दुकानें सजी हैं। विक्रेता सौरभ बताते हैं कि बच्चे छोटा भीम, बेनटेन, डोरीमोन, सिनचेन, लाइट वाली राखी और युवा रेशम की डोर के अलावा डिजाइनदार राखियां पसंद कर रहे हैं।।

बरेली से कपिल यादव

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