बरेली। दूसरे राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों को घर भेजने के लिए सरकार श्रमिक स्पेशल ट्रेन और बसें चला रही है इसके बावजूद भी नेशनल हाईवे की सड़कों पर घर का सामान का बोझ लादे मजदूरों का रेला कम नहीं हो रहा है जिले की सड़कों पर पैदल चलते लोग आसानी से देखे जा सकते हैं। नेशनल हाईवे से लेकर शहर व कस्बे के अंदर तक जगह-जगह प्रवासी मजदूरों का रैला नजर आ रहा है। 2 महीने से अन्य राज्य व शहरों में फंसे प्रवासी मजदूर निराश होकर पैदल ही अपने घर की ओर चल पड़े। नेशनल हाईवे पर बीच-बीच में मिलने वाले ट्रक व अन्य वाहनों से बैठकर कुछ दूरी तय करके कम कर रहे हैं। मगर इसके बावजूद भी सैकड़ों किलोमीटर का सफर प्रवासी मजदूरों को पैदल ही तय करना पड़ रहा है। अपने घरों की ओर जा रहे कामगार मजदूरों से बात की। इस दौरान ज्यादातर मजदूर घर भेजने के समुचित इंतजाम न होने से नाराज देखे गए।
पैसे खत्म हुए तो पैदल चल दिए घर
गया के रहने वाले राजू नजीमाबाद की एक फैक्ट्री में मजदूरी करते थे। लॉक डाउन में फैक्ट्री बंद होने से उनका काम भी छूट गया। बिना रोजगार दो माह तक घर से दूर फंसे रहने पर जमा पूंजी भी खत्म हो गई। पैसे खत्म होने पर साथियों के साथ राजू पैदल ही घर की ओर निकल पड़े। हाईवे पर पैदल जाते राजू को सरकार द्वारा घर भेजने के बारे में पूछा तो उन्होंने ऐसी किसी सुविधा की जानकारी होने से इनकार किया।
ऑनलाइन नाम लिखवाने पर ही मिलेगी श्रमिक स्पेशल
बिहार के रहने वाले बिरजू हाईवे पर पैदल घर जाते मिले। बिरजू से जब श्रमिक एक्सप्रेस चलने की बात की तो उन्होंने बताया सुना है इंटरनेट पर नाम लिखवाने पर ही उसमें बैठ पाएंगे। अब हम ठहरे अनपढ़ आदमी इसलिए पैदल ही चल दिए।।
बरेली से कपिल यादव