बरेली। सनातन धर्म मे जिस तरह मां लक्ष्मी को धन और वैभव की देवी कहा गया है। उसी प्रकार मां सरस्वती को ज्ञान और बुद्धि की देवी कहा गया है। ज्ञान, बुद्धि, विद्या की अधिष्ठात्री देवी मां सरस्वती का पावन पर्व बसंत पंचमी पर तिथियों का संशय है। कुछ ज्योतिषाचार्य दो फरवरी तो बहुतायत आचार्य तीन फरवरी को मनाने की सलाह दे रहे हैं। हालांकि काशी व मथुरा के ज्योतिषों के मुताबिक तीन फरवरी को ही बसंत पंचमी मनाई जाएगी। इसके साथ ही महाकुंभ का तीसरा अमृत स्नान भी तीन फरवरी को है। माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि की शुरुआत दो फरवरी को सुबह 9.14 मिनट से शुरू होकर तीन फरवरी की सुबह पर होगी और अगले दिन तीन फरवरी सोमवार को सुबह 6.52 मिनट पर समाप्त होगी। उदया तिथि की मान्यता को लेकर ज्योतिषाचार्यों ने तीन फरवरी को बसंत पंचमी मनाना शास्त्र सम्मत बताया है। तीन फरवरी को सिद्धयोग में यह पर्व मनाया जाएगा। हालांकि कई कैलेंडर व ज्योतिषाचार्य दो फरवरी को बसंत पंचमी मनाने की बात कह रहे हैं। ऐसे में कुछ लोग दो फरवरी तो अधिकांश लोग तीन फरवरी को बसंत पंचमी मनाते हुए माता सरस्वती की पूजा करेंगे। कहा जाता है कि बसंत पंचमी के दिन ही ब्रह्मा जी ने मां सरस्वती की रचना की थी. हंस पर सवार होकर जब मां सरस्वती आती हैं तो ज्ञान चक्षु खुल जाते हैं और जातक को विवेक प्राप्त होता है। बसंत पंचमी के दिन ही घर मे छोटे बच्चों के लिए अक्षर अभ्यास और विद्या आरंभ का संस्कार किया जाता है। इस दिन छोटे बच्चे पहली बार कलम पकड़कर पढ़ाई लिखाई शुरू करते है। बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की के साथ साथ कलम, संगीत के वाद्य यंत्रों की भी पूजा की भी मान्यता है। इस दिन स्कूल और कॉलेजों में भी कई तरह के आयोजन होते है।।
बरेली से कपिल यादव